उज्जैन के महाकाल मंदिर की तरह मंगलनाथ मंदिर ने भी इस वर्ष करोड़ों की आय अर्जित की है। मंदिर में मानो धनवर्षा हो रही है। यहां मुख्यत: मंगल शांति के लिए भात पूजा की जाती है। इसके अलावा मंगलनाथ मंदिर में कालसर्प दोष निवारण, अंगारक दोष, श्रापित दोष निवारण के साथ ही अर्क विवाह, कुंभ विवाह भी कराए जाते हैं। इन सभी पूजन विधियों से एक साल में मंदिर के खजाने में 4.5 करोड़ रुपए आए।
मंगलनाथ मंदिर के प्रशासक केके पाठक ने बताया कि सन 2024 में मंगलनाथ मंदिर में भात पूजा, कालसर्प दोष निवारण, अंगारक दोष, श्रापित दोष, अर्क विवाह, कुंभ विवाह सहित अन्य पूजन विधियों से मंदिर समिति को कुल 4,50,49,037 रुपए का चढ़ावा प्राप्त हुआ। 1 जनवरी से 31 दिसंबर 2024 के बीच भेंट पेटी, क्यूआर कोड और विभिन्न पूजन माध्यमों से यह आय हुई है।
शिप्रा तट पर स्थित मंगलनाथ मंदिर में देश-विदेश से लोग मांगलिक दोष निवारण के लिए आते हैं। उज्जैन को मंगल देव का जन्मस्थान माना गया है। यही कारण है कि यहां आने वाले भक्तों और यजमानों के लिए मंगलनाथ मंदिर पूजन और दर्शन का प्रमुख केंद्र है।
यह भी पढ़ें: एमपी में कर्मचारियों के साथ बड़ी धोखाधड़ी, नियमानुसार वेतन पुनरीक्षण नहीं कर रही सरकार मंदिर के प्रशासक केके पाठक बताते हैं कि मंदिर कर्मचारियों के सहयोग से दर्शन व्यवस्था को सुगम और व्यवस्थित बनाया गया है, जिससे हर दर्शनार्थी को गर्भगृह के सामने से दर्शन का अवसर मिला। यहां मंदिर के विद्वान पंडितों और आचार्यों द्वारा यजमानों की सभी पूजाएं संपूर्ण विधि-विधान से संपन्न करवाई जाती हैं। इससे भक्तों का विश्वास भी बढ़ता है।
बता दें कि महाकाल ज्योतिर्लिंग और मंगलनाथ मंदिर सहित उज्जैन के सभी मंदिरों की आय में बढ़ोतरी हो रही है। महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन के धार्मिक पर्यटन को भी नई ऊंचाई मिली है। धर्म नगरी में रोज आनेवाले भक्तों की संख्या औसतन 1 लाख से ऊपर पहुंच चुकी है। महाकाल और मंगलनाथ जैसे प्रमुख मंदिरों में भक्तों की आस्था और धार्मिक पूजाओं के माध्यम से करोड़ों का चढ़ावा आ रहा है जोकि मंदिर समितियों के खजाने में जमा हो रहा है।