आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन ये बात सच है। दरअसल, मध्य प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनावों के चलते चुनावी आचार संहिता लागू है। इस आचार संहिता का असर महाकाल दर्शन पर भी पड़ रहा है। इस वजह से महाकाल मंदिर में राजनीतिक दलों के नेताओं या उनकी सिफारिश पर आने वालों के लिए प्रोटोकॉल दर्शन कोटा वाली सीटें चुनावी आचार संहिता के चलते खाली हैं। ऐसे में अगर कोई राजनीतिक दल का नेता या उसकी सिफारिश पर आने वाला दर्शनार्थी प्रोटोकॉल दर्शन सीट का इस्तेमाल करता है तो उसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा। ऐसे में मंदिर प्रबंधन ने तय किया है कि, जबतक आचार संहिता लागू है तबतक प्रोटोकॉल दर्शन वाली सीटें आम जन को ही दी जाएंगी।
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12 ज्योतिर्लिंगों में से एक
उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। रोजाना देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक से यहां श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने आते हैं। इसमें महाकाल की भस्म आरती का विशेष महत्व है। क्योंकि, ऐसी आरती देशभर में किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में नहीं होती। ऐसे में देश के अन्य ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के मुकाबले यहां अधिक संख्या में भक्तों का तांता लगता है। लेकिन मध्य प्रदेश में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू हो गई है। ये मतदान तीन चरणों में होंगे। 25 जून, 1 जुलाई और 7 जुलाई को अलग अलग सीटों के अनुसार मतदान होगा। चुनाव परिणाम 14 और 15 जुलाई को घोषित होंगे। आचार संहिता हटने के बाद ही महाकाल की पुरानी व्यवस्था दौबारा यथावत हो जाएगी। लेकिन, तबतक आमजन आम कोटे के साथ साथ वीआईपी कोटे से दर्शन का लाभ ले सकते हैं।
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