पुरातत्व के जानकारों का मानना है कि शिप्रा के तट पर ब्रह्माजी का विशाल मंदिर होगा। कालांतर में घाट के क्षेत्र के जीर्णोद्धार के समय मंदिर के भग्नावशेष तथा ब्रह्माजी की मूर्ति को यहां स्थापित किया गया होगा।
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मूर्ति शिल्प की बेजोड़ कारीगरी
विक्रम विश्व विद्यालय के पुराविद डॉ. रमण सोलंकी ने मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि उज्जैन में अनादिकाल से मंदिरों की शृंख्ला रही है। यहां का मूर्ति शिल्प भी देश दुनिया में खासा चर्चा में रहा है। परमारकाल में भी राजाभोज द्वारा कई मंदिरों और मूर्तियों का निर्माण कराया था। इसी समृद्ध शिल्प व मूर्ति कला के प्रमाण रामघाट स्थित सीढ़ियों पर भगवान ब्रह्मा तथा अग्निदेवता की मूर्तियों के रूप में मिलते हैं। यह दोनों मूर्तियां परमार काल की होकर 1 हजार साल पुरानी है। यह भी पढ़ें- आज फिर कोलकाता दौरे पर हैं CM मोहन, एमपी में निवेश के लिए 8 देशों के उद्योगपतियों से करेंगे चर्चा