उज्जैन

इस्कॉन को बड़ी राहत- जमीन विवाद खत्म, 18 वर्ष पुरानी गाइड लाइन से लेंगे राशि

– 5 वर्ष पूर्व शासन ने निरस्त कर दिया था भूखंड आवंटन, अब कैबिनेट ने राशि लेकर जमीन देने का निर्णय लिया

उज्जैनMay 26, 2022 / 08:13 am

दीपेश तिवारी

ISKON Temple

उज्जैन। प्रशासनिक क्षेत्र में इस्कॉन (इंटरनेशन सोसायटी फॉर कृष्णा कॉनशियस्नेस) को जमीन आवंटन से उपजा विवाद लंबे समय बाद खत्म हो गया है। कैबिनेट ने वर्ष 2004-05 की गाइड लाइन के आधार पर शुल्क वसूलकर इस्कॉन को यह भूखंड देने का निर्णय लिया है। हालांकि उज्जैन विकास प्राधिकरण के पास इस सबंध में फिलहाल कोई आदेश नहीं आया है, लेकिन फैसले से इस्कॉन को बड़ी राहत जरूर मिल गई है।

करीब 18 वर्ष पूर्व इस्कॉन को भरतपुरी में यूडीए ने जमीन दी थी जिस पर मंदिर, बगीचा, विश्राम गृह आदि का निर्माण किया गया है। एक आपत्ति के चलते शासन ने वर्ष 2017 में भूखंड का आवंटन निरस्त कर दिया था और यह एक तरह से अवैध की स्थिति में आ गया था। इस्कॉन ने भी शासन के निर्णय के विरोध में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, वहीं स्थानीय से लेकर भोपाल तक अधिकारी-जनप्रतिनिधियों के सामने अपना पक्ष रखा था।

करीब पांच वर्ष से मामला अधर में था। फरवरी में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत भी इस्कॉन आए थे। उनके सामने भी अनौपचारिक चर्चा में इस्कॉन प्रतिनिधियों ने यह विषय रखा था। बुधवार को कैबिनेट की बैठक में इस्कॉन से वर्ष 2004-05 की गाइड लाइन अनुसार राशि लेकर उक्त भूखंड लौटाने का निर्णय लिया गया है। मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसकी जानकारी दी है।

14 हजार वर्गमीटर से अधिक मिली थी जमीन
इस्कॉन पीआरओ राघव पंडित ने बताया कि वर्ष 2004 में तत्कालीन मुख्मंत्री उमा भारती ने मप्र में इस्कॉन को आमंत्रित किया था। तब उज्जैन, जबलपुर, ओंकारेश्वर आदि जगह स्थान बताए गए थे। गुरुजी ने भगवान श्री कृष्ण की शिक्षा स्थली होने के कारण उज्जैन का चयन किया था।

क्षिप्रा नदी के पार करीब 300 एकड़ जमीन बताई गई थी लेकिन वह निजी थी। बाद में उज्जैन विकास प्राधिकरण ने भरतपुरी में दो चरण में कुल 14 हजार 674 वर्ग मीटर आकार के पांच प्लॉट आवंटित किए थे। दो तीन वर्ष में मंदिर का निर्माण किया गया था। वर्ष 2011-12 में प्रशासनिक क्षेत्र के भूखंड पर धार्मिक स्थल निर्माण को आधार बनाकर कोर्ट में एक पीआइएल लगाई गई थी।

न्यायालय ने यूडीए व शासन को इस पर निर्णय लेने का कहा था। शासन ने वर्ष 2017 में भूखंड आवंटन निरस्त करन के आदेश दे दिए थे। इस्कॉन ने कोर्ट से गुहार लगाने के साथ ही स्थानीय से लेकर भोपाल तक अधिकारी-जनप्रतिनिधियों के सामने अपना पक्ष रखा। मुख्यमंत्री को भी पूरे विषय की जानकारी दी थी।

फरवरी में इस्कॉन आए संघ प्रमुख मोहन भागवत को विषय से अवगत कराया गया था। राघव पंडित के अनुसार, मीडिया के माध्यम से कैबिनेट के इस निर्णय की जानकारी मिली है। इसके लिए स्थानीय विधायक, मंत्री, सांसद आदि के प्रयास रहे हैं।

800 रुपए वर्ग फीट पर ली थी जमीन
भरतपुरी क्षेत्र में इस्कॉन को पांच प्लॉट मिले थे। प्रशासनिक क्षेत्र होने से उक्त भूखंड की गाइड लाइन की दर निर्धारित नहीं थी। इसके लिए यूडीए ने तब करीब 800 रुपए वर्ग फीट की दर से भूखंड दिए थे। अब कैबिनेट ने वर्ष 2004-05 की गाइड लाइन के आधार पर इस्कॉन से उक्त प्लाटॅस की राशि जमा करवाने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि तब उक्त प्लाट के आसपास के क्षेत्र के भूखंड की गाइड लाइन करीब 2050 रुपए थी।

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