दरअसल, साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के लिए एक याचिका लगाई गई थी। जिसके बाद कोर्ट ने एक्सपर्ट्स की टीम का गठन किया था। इसके दो साल बाद से टीम ज्योतिर्लिंग के क्षरण की जांच कर रही है।
हर 6 महीने में होती है जांच
महाकाल मंदिर समिति का कहना है कि जांच दल प्राचीन संरचनाओं का स्ट्रक्लचरल असेस्मेंट भी करेगा। इसमें एएसआई, जीएसआई और सीबीआरआई रुड़की के जांच दल शामिल हैं। यह समिति सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित की गई है। जो कि हर छह महीने में उज्जैन पहुंची हैं और ज्योतिर्लिंग के क्षरण के साथ-साथ कई तरह की जांच करती है।
वैज्ञानिकों ने क्षरण रोकने के लिए दिए थे सुझाव
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गई एक्सपर्ट्स की टीम 2019 से लगातार ज्योतिर्लिंग की जांच कर रही है। इसके साथ उन्होंने क्षरण रोकने के लिए कई सुझाव भी दिए थे। जिस पर मंदिर समिति की ओर से अमल किया जा रहा है। ताकि क्षरण को रोका जा सके। जांच करने पहुंचा दल पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्षरण की क्या स्थिति है।
ये भी पढ़ें – दिवाली से पहले 7 लाख सरकारी कर्मचारियों को मिलेगा महंगाई भत्ता? सामने आई ताजा जानकारी बता दें कि, एक्सपर्ट्स द्वारा क्षरण रोकने के लिए आरओ वॉटर से ज्योतिर्लिंग का अभिषेक करने की सलाह दी गई थी। वहीं भस्म आरती के दौरान ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढक दिया जाता है।
इधर, टीम नए निर्माण की स्थिति की जांच करेगी। तभी जाकर जांच के बाद मंदिर के रहस्यों से पर्दा उठ सकेगा।