आइए जानते हैं महाकाल कॉरिडोर में क्या है खास बातें…।
एक परिसर में दिखेंगे शिव के 190 स्वरूप
काशी विश्वनाथ मंदिर (kashi vishwanath corridor) से चार गुना बड़ा बन रहा महाकाल कॉरिडोर अपने आप में बेहद खास है। प्रोजेक्ट इंजीनियर विकास पटेल बताते हैं कि परिसर इतना विशाल है कि पूरा मंदिर परिसर में घूमने और सूक्ष्मता से दर्शन करने के लिए 5 से 6 घंटे का वक्त लगेगा। इस विशाल क्षेत्र में भगवान शिव के 190 अलग-अलग रूप के दर्शन महाकाल कॉरिडोर (mahakal corridor ) में होंगे। इसके अतिरिक्त शिव तांडव स्त्रोत से लेकर शिव विवाह और अन्य प्रसंगों को भी बड़ी खूबसूरती से तराशा गया है। इसमें महाकालेश्वर वाटिका, महाकालेश्वर मार्ग, शिव अवतार वाटिका, प्रवचन हॉल, नूतन स्कूल परिसर, गणेश विद्यालय परिसर, रूद्रसागर तट विकास, अर्ध पथ क्षेत्र, धर्मशाला और पार्किंग सुविधाओं का विकास हो रहा है।
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एक घंटे में एक लाख श्रद्धालु करेंगे दर्शन
इस मंदिर को चारों तरफ से खुला बनाया जा रहा है। इसके आसपास के भवन को हटाया जा रहा है। क्योंकि श्रद्धालु लोग दूर से मंदिर के दर्शन कर सकें। इसी के साथ रूद्रसागर के किनारे 2 नए द्वार नंदी द्वार व पिनाकी द्वार के मध्य में विकसित किया जा रहा है। इससे एक साथ 20 हजार यात्री का आवागमन एक साथ हो सकेगा। 400 से ज्यादा वाहनों का पार्किंग क्षेत्र और धर्मशाला से यात्री सीधे नंदी द्वार में प्रवेश करेंगे। ज्जैन के कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार प्रोजेक्ट पूरा होने पर हर घंटे एक लाख श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। एक लाख लोगों की भीड़ होने पर भी श्रद्धालुओं को 30 से 45 मिनट में दर्शन हो जाएंगे।
लाइट एंड साउंड शो भी होगा
महाकाल कॉरिडोर का काम लगभग समाप्ति पर है। कई स्थानों पर फिनिशिंग का काम चल रहा है। जून 2022 तक महाकाल कॉरिडोर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। त्रिवेणी संग्रहालय के पास ही महाकाल पथ का बड़ा द्वार बन रहा है और बीच में फाउन्टेन, लाइट एंड साउंड सिस्टम भी होगा। इसके सामने पवेलियन जैसी व्यवस्था श्रद्धालुओं के लिए की जाएगी। जहां रात के समय श्रद्धालु लाइट एंड साउंड शो के जरिए महाकाल के बारे में और अधिक जानकारी पा सकेंगे।
चौड़ी सड़कों से पहुंचेंगे वाहन
मंदिर तक पहुंचने के लिए चारों तरफ से गलियों से होकर पहुंचना पड़ता है। नए प्रोजेक्ट के पूरा होने पर श्रद्धालु चौड़ी सड़कों से होकर महाकाल कॉरिडोर तक पहुंच जाएंगे। इसके लिए 70 मीटर चौड़ा मार्ग किया जा रहा है और उसी के साथ महाकाल मंदिर से चौराहे तक 24 मीटर चौड़ा मार्ग किया जा रहा है। इस मंदिर में पर्यावरण को ध्यान में रखकर पूरे मंदिर परिसर में छायादार पेड़ लगाए जा रहे हैं। महाकाल कॉरिडोर तक पहुंचने के लिए दो पैदल मार्ग भी होंगे। एक ई-रिक्शा के लिए भी अलग से लेन तैयार हो रही है। इसके जरिए बुजुर्ग श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में आसानी हो जाएगी।
कॉरिडोर में ही मिलेगी यह सुविधाएं
महाकाल कॉरिडोर के तहत जो भी काम चल रहा है जैसे कि कॉरिडोर में फैसिलिटी सेंटर बन रहा है, जिसमें आप लोग जूते स्टैंड, वेटिंग रूम, रेस्टोरेंट्स, पेयजल, टिकट घर, रुकने के आश्रम की भी व्यवस्था की जा रही है और वही इसी के साथ कई सुविधाएं यात्रियों के लिए हो रही है।
कला और संस्कृति भी नजर आएगी
पूरे कोरिडोर में शिवगाथा नजर आएगी। यहां तक की कॉरिडोर की दुकानों में भारतीय कला एवं संस्कृति की झलक भी दिखेगी। यहां लगने वाली फूल-प्रसादी व अन्य दुकान और काउंटर को भी कुछ अलग पहचान दी जा रही है। फेसिलिटी सेंटर के नजदीक बनी ऐसी ही कुछ दुकानों पर कलाकारों द्वारा मांडने बनाकर इन्हें ट्रेडिशनल लुक दिया जा रहा है।
750 करोड़ की लागत से बन रहा है यह कॉरिडोर
महाकाल कॉरिडोर का पूरा प्रोजेक्ट 750 करोड़ का है, जिसमें 422 करोड़ रुपए प्रदेश सरकार, 21 करोड़ मंदिर समिति और बाकी का पैसा केंद्र सरकार ने दिया है। यह प्रोजेक्ट में महाकाल मंदिर का परिसर 2 हेक्टेयर से बढ़कर 20 हैक्टेयर किया जा रहा है। इसमें ऐसी व्यवस्था भी की जा रहा है कि बाबा महाकाल के दर्शन आसानी से किए जा सकें। उसी के साथ जेके सीमेंट की ओर से लगभग 4 करोड़ रुपए की धर्मशाला बनाकर महाकाल मंदिर को संचालन के लिए दी जाएगी।
कॉरिडोर में मिलेगा 1000 लोगों को रोजगार
इस भव्य कारिडोर का संचालन करने के लिए एक हजार लोगों की भी जरूरत पड़ेगी। इसके जरिए एक हजार लोगों को रोजगार देने की भी तैयारी की जा रही है। यह लोग समिति की तरफ से मैनेजर, रिसेप्शन, टिकट काउंटर, रेस्टोरेंट, दुकानें, वाहन, लिफ्ट, साफ-सफाई, सुरक्षा गार्ड्स आदि के लिए नियुक्त किए जाएंगे।