ये दीये उज्जैन के अलावा देवास और इंदौर में भी बनकर तैयार हुए हैं। दीयों को प्रज्ज्वलित करने के लिए 14 हजार मोमबत्ती भी तैयार की गई हैं। दीपोत्सव के बाद दीयों को रिसाइकिल किया जाएगा। दीये की मिट्टी से भगवान की प्रतिमा बनाकर शहर में स्थायी रूप से स्थापित की जाएगी। बचे तेल का उपयोग गौशाला आदि में खाद्य पदार्थों के लिए किया जाएगा।
अयोध्या से यूं भिन्न होगा उज्जैन का दीपोत्सव
उज्जैन में रामघाट से भूखी माता घाट तक एक साथ 12 लाख दीपक जलाए जाएंगे। शहर के अन्य स्थानों पर शेष 9 लाख दीये लगाए जाएंगे। अयोध्या दीपोत्सव में 12 हजार स्वयंसेवक ने सहयोग किया था। उज्जैन में 14 हजार से अधिक स्वयं सेवक जुड़ेंगे। अयोध्या में दीपोत्सव में प्रति स्वयंसेवक 75 से 80 दीये जलाने का लक्ष्य था पर उज्जैन में प्रति स्वयंसेवक 225 दीपक जलाने का लक्ष्य है। अयोध्या में 9 लाख दीये जलाने में सरकार ने 1.24 करोड़ रुपए खर्च किए थे। उज्जैन में 21 लाख दीपक जलाने में सिर्फ 40 लाख रुपए का खर्चा होगा।
शहर में यहां भी जलेंगे दीप
महाकाल मंदिर में 51,000 दीये
मंगल नाथ मंदिर में 11000 दीये
कालभैरव मंदिर एवं घाट पर 10,000 दीये
गढ़कालिका मंदिर में 1,100 दीये
सिद्धवट मंदिर एवं घाट पर 6000 दीये
हरसिद्धि मंदिर में 5000 दीये
टावर चौक पर 1 लाख दीये
अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी 2 लाख दीपक