पहली बार महिलाओं ने तैयार की पगड़ी
शहर के पगड़ी विशेषज्ञ जयंत व जिनेश कोठारी ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब महिलाओं ने पगड़ी तैयार की है। ये कारीगर महिलाएं जीवन में संघर्ष करते हुए आगे बढ़ रही है। अपने हुनर के माध्यम से ये आत्मनिर्भर बन रही हैं। इन्हें जब पगड़ी व साफा बनाने की कला सिखाई तब इन्होंने पूरी मेहनत की। घंटों बैठकर काम पूरा करती थी। इनकी लग्न और जज्बे के कारण ही इन्होंने इतनी बड़ी पगड़ी मात्र 2 माह में तैयार कर दिखाई है। साथ ही महिला सशक्तीकरण का परिचय भी दिया है। महिलाओं की इस टीम में नीलम सुथार, खुशबू सालवी, प्रेम सालवी, सुशीला सालवी, सपना गुप्ता, प्रिया प्रजापत, धापू बाई, माया माली शामिल हैं। इनका सहयोग धर्मेंद व राज सेन ने किया है।
साढ़े 7 फीट चौड़ी, साढ़े 3 फीट लंबी और 70 किलो वजनी
कोठारी ने बताया कि गुजरात के लखन भाई ने भगवान दशाराम बाबा के लिए ये पगड़ी विशेष तौर पर बनवाई है। इसे गुरुवार को जामनगर में डिस्प्ले किया जाएगा। यह सफेद कपडे़ पर बनाई गई है और गोल्डन वर्क किया गया है। यह साढ़े 7 फीट चौड़ी, साढ़े 3 फीट लंबी और 70 किलो वजनी है, जबकि इसकी गोलाई 22 फीट है। इसमें 200 मीटर कपड़ा लगा है। इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स व इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भेजा जाएगा। इसके बाद गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भेजा जाएगा।
दुनिया की सबसे बड़ी पगड़ी बागोर की हवेली में
शहर की विरासत बागोर की हवेली में भारत के कई राज्यों की पारम्परिक पाग-पगड़ियां रखी हैं, जिसमें से एक है दुनिया की सबसे बड़ी 30 किलो वज़न की पगड़ी। यह अनूठी पगड़ी 151 फ़ीट लम्बी, गोलाई 11 फीट व 7 इंच मोटी है। बड़ौदा के कलाकार डॉ. अवंती लाल चावला ने इसे बनाया था। इस पगड़ी की खास बात यह है कि यह 3 अलग-अलग राज्यों द्वारा पहनी गई किसानों की पगड़ी का प्रतिनिधित्व करती है। इसके सामने से यह राजस्थान का प्रतिनिधित्व करता है, और इसके किनारों से यह गुजरात और मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व करता है।