एक बावड़ी भी जिसमें साल भर पानी रहता पाल के पास बड़ी संख्या में राष्ट्रीय पक्षी मोर रहते है, जिस जगह पर भराव ड़ाला जा रहा है वहां पर मोर, बंदर भी रहते है। साथ ही वहां पर पुरानी बावड़ी है जिसमें साल भर पानी भरा रहता है। सांसद व विधायकों सहित अन्य जनप्रतिनिधयों ने तितरड़ा तालाब को पर्यटन स्थल बनाने की मांग कई बार की है। इसके लिए मुख्यमंत्री से लेकर यूआईटी तक अपनी मांग रखी है।
यूआईटी ने रिपोर्ट बनाई
यूआईटी की ओर से टीम ने मौका देखा गया तो वहां पाल के पास ये सारी गतिविधियां देखी गई। यूआईटी तहसीलदार को पटवारी की ओर से दी गई रिपोर्ट में तालाब के पाल के पास इस जमीन के मूल स्वरूप को बिगागडऩे की रिपोर्ट दी गई।
यूआईटी की ओर से टीम ने मौका देखा गया तो वहां पाल के पास ये सारी गतिविधियां देखी गई। यूआईटी तहसीलदार को पटवारी की ओर से दी गई रिपोर्ट में तालाब के पाल के पास इस जमीन के मूल स्वरूप को बिगागडऩे की रिपोर्ट दी गई।
– करीब 60 से 80 बीघा के क्षेत्र में तालाब फैला है
– तालाब पेटे में खेती होती है
– तालाब खातेदारी हिस्से में है
– राष्ट्रीय पक्षी मोर की शरण स्थली है
इनका कहना है…. तितरड़ी के इस तालाब में किसी भी प्रकार की आवासीय, व्यावसायिक या प्रदूषणकारी गतिविधि अवैध है। वहां जो मिट्टी भराव की शिकायत आई है वह कार्रवाई वर्ष 2007 के राजस्थान उच्च न्यायालय के उदयपुर के छोटे तालाबो पर दिए फैसले का भी उल्लघंन है।
– अनिल मेहता, झील प्रेमी
– अनिल मेहता, झील प्रेमी