उदयपुर

संघर्ष के दौर में भी खड़ी है ‘राजस्थान की खादी’

उत्तर भारतीय राज्यों में राजस्थान श्रेष्ठ, महात्मा गांधी के सपने को साकार कर रही संस्थाएं

उदयपुरAug 15, 2021 / 12:21 am

Pankaj

संघर्ष के दौर में भी खड़ी है ‘राजस्थान की खादी’

उदयपुर. महात्मा गांधी ने चरखा चलाकर खादी अपनाने का संदेश दिया था। उनके सपने को साकार करता खादी उद्योग मुश्किल दौर में है, लेकिन आज भी मुश्किल का सामना करते हुए अपने आप को जीवित रखे हुए हैं। उत्तर भारतीय राज्य हरियााणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान में खादी उत्पादन का काम आज भी जारी है। खास बात ये है कि चारों राज्यों की खादी संस्थाओं की कमर कोरोना ने तोड़ दी, लेकिन इस दौरान भी राजस्थान की संस्थाएं डटी रही और चारों राज्यों में राजस्थान पहले नम्बर पर रहा।
कोरोना काल में खादी का उत्पादन और बिक्री बंद होने से संस्थाओं को झटका लगा। मजदूर काम की मांग करते रहे, लेकिन बिक्री नहीं होने से काम भी नहीं मिला। हालांकि संस्थाओं ने मजदूरों को टूटने नहीं दिया। कतिनों, बुनकरों को तीन माह तक 5-5 हजार रुपए से संबल दिए। जिससे धीरे-धीरे स्थिति में सुधार हो रहा है। खादी से जुड़े विद्वानों का मानना है कि प्रदेश की ज्यादातर संस्थाओं ने स्थिति पर काबू पा लिया है, स्थिति संतोषजनक है और राजस्थान में खादी उद्योग फिर फल फूल जाएगा।
अपनों की घर वापसी
खादी से जुड़ी संस्थाओं ने बताया कि राजस्थान से बड़ी संख्या में लोग महानगरों में काम के लिए गए थे, लेकिन कोरोना काल में घर लौट आए। बड़ी संख्या में लोगों ने वापस महानगरों में जाने के बजाय गांवों में ही खादी उत्पादन से जुड़े। ऐसे में खादी उत्पादन में मजदूरों की कमी की स्थिति में फिर जान आ गई।
प्रदेश में स्थिति
160 : संस्थाएं खादी उत्पादन करती है

13 : संस्थाएं आर्थिक संकट से जूझ रही
383 : खादी भंडार संचालित है प्रदेश में
किस संभाग में कितने भंडार

– बीकानेर संभाग में 108 भंडार संचालित
– जयपुर संभाग में 98 भंडार संचालित
– जोधपुर संभाग में 29 भंडार संचालित
– उदयपुर संभाग में 44 भंडार संचालित

– भरतपुर संभाग में 45 भंडार संचालित
– अजमेर संभाग में 45 भंडार संचालित

– कोटा संभाग में 14 भंडार संचालित
सरकार से अब भी उम्मीद
खादी उत्पादन पर केंद्र सरकार से तो छूट नहीं दी जाती, लेकिन राज्य सरकारों की ओर से समय-समय पर छूट की घोषणा की जाती है। एक साल पहले राज्य सरकार ने 50 प्रतिशत तक छूट दी तो खादी भंडारों पर स्टॉक नहीं रहा। हालांकि संस्थाएं इस साल भी सरकार की ओर से छूट की उम्मीद लगाए हुए है, जिससे खादी उद्योग को संबल मिल सके।
खादी उत्पादन से बना ‘खादी बाग’
राजस्थान की सबसे बड़ी संस्था जयपुर चौमूं स्थित खादी बाग में है। यहां स्थित राजस्थान खादी संघ में कई संस्थाएं जुड़ी हुई है। यह आजादी के समय वर्ष 1948 से संचालित संस्था है। बीते सालों में चौमूं रेलवे स्टेशन से सैकड़ों गांठें खादी की निर्यात होती थी। शाम को सैकड़ों कर्मचारी निकलते थे।
राज्य सीमाओं में बंटी खादी
वर्तमान में राज्य सरकार खादी बिक्री पर 5 प्रतिशत तक छूट दे रही है, लेकिन छूट सिर्फ राजस्थान में उत्पादित खादी पर ही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते सालों में यह कहकर अन्य राज्यों की उत्पादित खादी पर छूट खत्म करवाई कि राजस्थान के मजदूरों को रोजगार मिले। ऐसे में अन्य राज्यों से खादी उत्पादन का आदान-प्रदान बंद हो गया।
इनका कहना…
स्थिति संतोषजनक
राजस्थान में खादी उत्पादन करने वाली संस्थाएं अब भी खड़ी है। कुछ संस्थाएं डगमगाई है, लेकिन फिर भी स्थिति काबू में है। सरकार की ओर से छूट की व्यवस्था है, लेकिन इसमें और मजबूती देने की जरुरत है। बीते समय में हुए एक सर्वे के मुताबिक आंकलन किया गया है कि खादी उत्पादन आने वाले समय में बेहतर स्थिति में होगा।
रामदास जी शर्मा, पूर्व चेयरमैन, खादी ग्रामोद्योग आयोग नॉर्थ जोन

कुछ नियमों ने तोड़ी कमर
पहले खादी का कच्चा माल संस्थाओं की ओर से गांवों में पहुंचाया जाता था और उत्पादित खादी जुटा कर बाजार में पहुंचाई जाती थी। इसके बदले में नकद भुगतान ग्रामीण महिलाओं को होता था। इस पर रोक लगा बैंक से ही भुगतान करना तय हुआ, जिससे ग्रामीणों की पहुंच बैंक तक नहीं हो पाई। हजारों लोग खादी उत्पादन से अलग हो गए।
चमेल सिंह, सेक्रेटरी, राजस्थान खादी संघ

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