रूपसागर के इस तालाब पेटे में भूमाफिया अभी भी कई जगह भूखंड काटते हुए धड़ल्ले से बेच रहे हैं। उन्होंने यूडीए की ओर से पूर्व में लगाए गए मुटाम व लाल निशान तक खत्म कर दिए। इन मुटाम से वे काफी आगे निकलते हुए भूखंड ही ही नहीं काट रहे बल्कि बिना स्वीकृतियों के मकान तक बना रहे हैं।
इन निर्माणकर्ताओं क पास न तो किसी तरह की निर्माण स्वीकृति है और न ही कि इनके पास कोई वैध दस्तावेज है। अवैध रूप से तालाब पेटे में चल रहे निर्माण के बावजूद यूडीए अधिकारियों ने इन पर कोई कार्रवाई नहीं की। रूपसागर क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण को लेकर यूडीए आयुक्त राहुल जैन ने भी सीमा निर्धारण के लिए जिला कलक्टर को पत्र लिखा है।
यूडीए को भी रूपसागर की सम्पूर्ण जानकारी नहीं, कलक्टर को लिखा पत्र
रूपसागर
क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण को लेकर यूडीए आयुक्त राहुल जैन ने भी सीमा निर्धारण के लिए जिला कलक्टर को पत्र लिखा है। पत्र में लिखा कि रूपसागर क्षेत्र के आसपास की कॉलोनियों के निवासियों द्वारा समय-समय पर अपने भूखंडों व मकानों के पट्टे जारी किए जाने की मांग की जाती रही है। उक्त क्षेत्र में भूखंडों के पट्टे जारी नहीं होने, बिना निर्माण स्वीकृति के निमार्ण कार्य किए जाने तथा अतिक्रमण संबंधी शिकायतें भी प्राप्त हो रही है।
रूपसागर तालाब क्षेत्र की पूर्ण जानकारी नहीं होने से समुचित कार्रवाई संभव नहीं हो पा रही है। इस वर्ष अत्यधिक वर्षा होने से आसपास के क्षेत्र में पानी का भराव बना हुआ है। जैन ने जिला कलक्टर से रूपसागर के सीमा क्षेत्र निर्धारण के लिए जल संसाधन विभाग एवं राजस्व विभाग अधिकारियों की टीम गठित करने की मांग की है, ताकि उक्त क्षेत्र में भूखंडों के पट्टो जारी नहीं होने एवं बिना निर्माण स्वीकृति के निर्माण कार्य किए जाने तथा अतिक्रमण संबंधी शिकायतों के विरुद्ध समुचित कार्रवाई की जा सके।
भूमाफियाओं के कृत्य के चलते इस बार तालाब में अपेक्षा से काफी कम पानी
रूपसागर का केचमेंट एरिया चित्रकूटनगर की पहाड़ियां है। यहां से पानी बहता हुआ सीधा रूपसागर तालाब में गिरता है। यह तालाब अक्सर एक ही बारिश में लबालब हो जाता है, लेकिन भूमाफियाओं के कृत्य के चलते इस बार तालाब में अपेक्षा से काफी कम पानी पाया है। पानी वहां पाल तक को भी नहीं छू सका, अभी सिर्फ इसका पेंदा भरा है। केचमेंट में भूमाफियाओं की ओर से 10-10 फीट भराव डालकर रास्ते बना दिए गए। इन रास्तों के कारण पानी तालाब तक नहीं पहुंचा और आसपास खाली पड़े भूखंडों में भर गया।