कोटा कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिकों ने अखिल भारतीय मूलार्प अनुसंधान परियोजना के तहत यह किस्म विकसित की है। इसे तैयार करने में ८ साल का समय लगा है। वर्ष २०१५ में इसे विकसित और चिह्नित कर लिया गया था। कोटा, पूना (महाराष्ट्र) और एस के नगर (गुजरात) में ३ साल तक परीक्षण के बाद इसे अधिसूचित करने के प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजे हैं। इस किस्म के राजमा में भरपूर विटामिन, प्रोटीन, अमीनो एसिड हैं। इससे प्रदेश में दलहन उत्पादन के साथ ही किसानों की आय भी बढ़ेगी। प्रदेश में अब तक एेसी फसल उपलब्ध नहीं थी जो स्थानीय जलवायु के अनुकूल हो। इसके चलते यहां के किसान चना व मसूर को प्राथमिकता देते हैं।
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कोटा कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिक डॉ.़ सुमेर सिंह (प्रजनक), डॉ. बलदेव सिंह और डॉ. आर के महावर
कोटा कृषि विवि के कृषि वैज्ञानिक डॉ.़ सुमेर सिंह (प्रजनक), डॉ. बलदेव सिंह और डॉ. आर के महावर
यहां के किसानों को मिलेगा फायदा नई किस्म का फायदा मध्य भारत के किसानों को मिलेगा। प्रदेश में कोटा, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चित्तौडग़ढ़ के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के किसान लाभान्वित होंगे।
READ MORE: पति गया था दिवाली की खरीद करने, पीछे से पत्नी ने बच्चों समेत उठाया ये खतरनाक कदम..जिसने भी देखे शव सिहर उठा कम अवधि में होगी तैयार राजमा की सामान्य किस्म १३० से १३६ दिन में पककर तैयार होती है जबकि नई विकसित किस्म ‘कोटा राजमा-१’ की फसल १०१ दिन में ही पककर तैयार हो जाएगी।
उत्पादन भी ज्यादा राजमा की नई किस्म ‘कोटा राजमा-१ (आरकेआर १०३३)’ की पैदावार चैक किस्म एचक्यूआर-१३७ और पीडीआर-१४ से करीब ६० फीसदी अधिक आएगी। इसी तरह से जीआर-१ से करीब २० फीसदी अधिक पैदावार होगी। इसकी औसत उपज प्रति हैक्टेयर १७ से १८ क्विंटल तक होगी।
एेसे की विकसित कोटा राजमा -१ का विकास आईआईपीआर-९८-३-१ और एचक्यूआर २०३ के संकरण से किया गया है। भरपूर विटामिन, प्रोटीन अमीनो एसिड की मात्रा है। बीमारियों की प्रतिरोधी है
उखटा, पर्णकोणिय धब्बा, श्यामवर्ण , बीसीएमवी, अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग कोटा कृषि विवि में वर्ष २०१५ में राजमा की नई किस्म ‘कोटा राजमा-१ ’ को विकसित व चिह्नित कर लिया था। परीक्षण के बाद इसे अधिसूचित करने के लिए केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भिजवा दिए हैं। इसका लाभ राजस्थान सहित मध्यभारत खासतौर पर मध्यप्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र को मिलेगा।
प्रतापसिंह धाकड़, निदेशक (रिसर्च) कोटा कृषि विश्वविद्यालय कोटा राजमा-१ किस्म से प्रदेश के कोटा तथा मेवाड़ अंचल के किसान लाभाविन्त होंगे। यह रबी के लिए तैयार की गई है। कम समय में तैयार होगी, वहीं रोग प्रतिरोधी होने के साथ ही यहां के मौसम के अनुकूल है।
डॉ. सुमेर सिंह, कृषि वैज्ञानिक, कोटा कृषि विश्वविद्यालय