ट्रेकिंग की शुरुआत उप वन संरक्षक (वन्यजीव) अरुणकुमार डी एवं उप वन संरक्षक यादवेंद्रसिंह की उपस्थिति में हुई। मार्ग में नाल साण्डोल स्थित इको ट्यूरिज्म स्पॉट पर लबालब भरे एनीकट की रपट पर चलती पानी की चादर देखकर आनंदित हो उठे। इसके बाद दल आमलेटा घाटी पर पहुंचा। वहां पहाड़ियों के बीच सर्पिली सड़क से गुजरते समय पर्यटक रोमांचित हो उठे। पानरवा पहुंचने के बाद दल ने पर्यावरणविद् शरद अग्रवाल, विनय दवे तथा फोरेस्ट गार्ड्स के सान्निध्य में कठावली झेर पर ट्रैकिंग की। दोनों ने कई तरह की दुर्लभ वनस्पति तथा पक्षियों से रूबरू कराया। पहाड़ी पर स्थित प्राचीन कंदराएं देखकर सभी अभिभूत हो उठे। महराबनुमा कंदराओं के संबंध में दवे ने बताया कि पहाड़ी में लाइम स्टोन (चूना) की अधिकता होने से यह पानी के साथ बाहर आकर मनमोहक आकार ले लेती हैं। खाचण गांव के समीप वाकल नदी के आसपास की प्राकृतिक वातावरण का भी लुत्फ उठाया।
उप वन संरक्षक ने बताया कि वन भ्रमण की अगली कड़ी में 29 जुलाई को गोरम घाट क्षेत्र का भ्रमण कराया जाएगा।
उप वन संरक्षक ने बताया कि वन भ्रमण की अगली कड़ी में 29 जुलाई को गोरम घाट क्षेत्र का भ्रमण कराया जाएगा।