उदयपुर

पूरन की हालत में काफी सुधार, परिजनों को पहचानने लगा

विमंदित व उसके पिता को परवरिश व इलाज के लिए संस्था अपने साथ ले गई थी उदयपुर

उदयपुरJun 06, 2023 / 02:00 am

surendra rao

पूरन की हालत में काफी सुधार, परिजनों को पहचानने लगा

भींडर.कानोड़ .उदयपुर. घोड़ों का खेड़ा गांव के विमंदित पूरन सिंह की हालत में काफी कुछ सुधार है। साथ ही उसके पिता हरि सिंह गौड़ का भी इलाज जारी है, जो पूरन सिंह वर्षों से गर्दन तक ऊपर नहीं कर पा रहा था आज वह खुले आसमान को अपनी आंखों से देख पा रहा है। पिता सहित परिजनों को पहचानने भी लगा है। परिजनों के लिए इससे बड़ी खुशी और क्या हो सकती है । पूरन सिंह को जिस हालात में उसके गांव से ले जाया गया वह बहुत ही गंभीर थी अब वह सामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी रहा है ।
गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका के 22 मई के अंक में विमंदित बेटे की परवरिश करते हार गया पिता अब जिंदगी बन गई मुसीबत’शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। ग्रामीणों ने बताया कि गत 17 सालों से इस विमंदित की सुध लेने कोई नहीं आया था। पत्रिका में खबर प्रकाशित होने के बाद उदयपुर की अपना घर आश्रम संस्था के प्रतिनिधि पूरन सिंह के गांव पहुंचे और विमंदित पूरन सिंह और उसके पिता को अपने साथ ले गए और उनका इलाज कराया। साथ ही परवरिश भी की।
बेहतर इलाज के लिए आज भेजेंगे भरतपुर

संस्था प्रभारी सुल्तान सिंह ने बताया कि पूरन सिंह की हरकतों में भी काफी सुधार आ चुका है। आश्रम में पहुंचने से पहले पूरन सिंह बोल नहीं पा रहा था लेकिन अब बोल पा रहा है, हाथ खुल नहीं पा रहे है, उसका इलाज चल रहा है, पूरन सिंह के पिता हरि सिंह के ब्लड की कमी बताई है, जिसकी भी दवा शुरू कर दी गई है। बेहतर इलाज के लिए मंगलवार को परिवार की सहमति पर भरतपुर आश्रम भेजा जा रहा है , जहां वरिष्ठ चिकित्सकों के द्वारा इलाज होगा ।
बूढ़े पिता का हाथ हुआ मजबूत

हर कोई पिता पुत्र पाकर यही महसूस करता है कि वह उसके बुढ़ापे की लाठी बनेगा। 17 साल से जिस स्थिति में पिता के सामने बेटे की हालत थी उससे पिता भी निराश हो गया और स्वयं भी अस्वस्थ रहने लगा। आज एक पिता को भी बेटा मिलता दिख रहा है। अब उसका बेटा उसके सामने वह सब करेगा जो सामान्य जिंदगी में एक बेटा अपने पिता के लिए करता है ।
पिता ने कहा था बेटे को सही करवा दो बस उसकी अंतिम इच्छा

पत्रिका की टीम जब पूरन के घर पहुंची तो पिता हरि सिंह के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। पिता पत्रिका की टीम के समक्ष एक ही गुहार लगा रहा था कि उसकी अंतिम इच्छा है उसका बेटा उसके सामने ठीक हो जाए। पत्रिका उनकी आवाज बना तो आखिरकार अपना घर संस्था ने मदद को हाथ आगे बढ़ाए और पूरन सिंह की हालत में काफी कुछ सुधार है। हालांकि अभी दवाएं चल रही है, जो नियमित जारी रहेगी।
प्रशासन ने इस परिवार की ओर देखा तक नहीं

इतनी दयनीय स्थिति होने के बावजूद प्रशासनिक कोई नुमाइंदा इस परिवार तक नहीं पहुंचा। इससे बड़ी विडंबना क्या हो सकती है।जिस परिवार को मदद की जरूरत है वहां तक पहुंचने की जिम्मेदारी किसी भी प्रशासनिक अधिकारी ने नहीं निभाई । पीड़ित परिवार के पास न तो बिजली कनेक्शन है ना पेंशन मिलती है, न हीं सरकार की कोई सुविधाएं।

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