उदयपुर

2 साल में पर्यटन ने कोरोना से खोया ही खोया, अब अच्‍छे द‍िनों का इंतजार

विदेशी पर्यटक पिछले 13 महीनों से भारत नहीं आए, देसी पर्यटकों से ही मिल रही थी सांसें, पर्यटन से जुड़े हर सेक्टर को झेलना पड़ा आर्थिक नुकसान

उदयपुरJul 06, 2021 / 04:21 pm

madhulika singh

tourist

उदयपुर. लेकसिटी की खूबसूरती निहारने हर साल देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए ये शहर किसी जन्नत से कम नहीं था। लेकिन, कोरोना महामारी ने पर्यटन को ऐसा दंश दिया कि हर सेक्टर नुकसान झेल रहा है। यूनाइटेड नेशन कन्वेंशन ऑन ट्रेड एंड डवलपमेंट और यूएन वल्र्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन द्वारा जारी की गई एक साझा रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी की वजह से पूरी दुनिया के टूरिज्म सेक्टर को करीब 1200 अरब डॉलर से 3300 अरब डॉलर तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि, रिपोर्ट में मौजूदा वर्ष की दूसरी छमाही से इसके सुधरने की उम्मीद जताई गई है। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि पर्यटन क्षेत्र में आने वाली तेजी इस बात पर निर्भर करेगी कि विश्व में वैक्सीनेशन की रफ्तार कहां-कहां कितनी है।

होटल उद्योग को 1000 करोड़ से अधिक नुकसान

कोरोना का सबसे ज्यादा प्रभाव होटल उद्योग पर पड़ा है। होटल व्यवसायियों के अनुसार, इन दो वर्षों में इस उद्योग को अनुमान से अधिक नुकसान झेलना पड़ा है। इस क्षेत्र में कार्य करने वाले अधिकांश लोगों की छंटनी हुई है, जिससे वे बेरोजगार हो गए हैं। होटल उद्यमी भी विभिन्न करों एवं बिजली के बिलों का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं, जिससे कुछ होटल भी बिकने की कगार पर हैं। उदयपुर में ही होटल उद्योग को 2 साल में हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। दूसरी लहर का प्रभाव पहली लहर से अधिक था, अधिकांश लोग घर में ही रहे। अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने पर लोग घर से बाहर निकलने लगे हैं।

पर्यटन सीजन में कमाते थे लाखों, आज घर बैठने की मजबूरी
पर्यटन के पहले ‘सिपाही’ माने जाने वाले यहां के गाइड्स भी कोरोना से उत्पन्न हुई परिस्थितियों के आगे बेबस हैं। पर्यटन सीजन में लाखों कमाने वाले गाइड्स इन दो साल में पर्यटन व्यवसाय के प्रभावित होने से गुजारा चलाने के लिए अन्य काम-धंधे कर रहे हैं। कोरोना की पहली लहर से जितना नुकसान नहीं हुआ, उतना नुकसान दूसरी लहर ने करा दिया। गाइड्स का कहना है कि दिवाली से पर्यटन फिर उठने लगा था लेकिन होली के बाद से फिर दूसरा लॉकडाउन झेलना पड़ा। अब पर्यटक आ भी रहे हैं तो वे गाइड करना नहीं चाहते और विदेशी पर्यटक कई महीनों से नहीं आ रहे। ऐसे में गाइड्स तो घर बैठने को मजबूर हैं।

हैंडीक्राफ्ट्स व्यवसाय को 100 करोड़ का नुकसान

राजस्थान की माटी की सुगंध, यहां की कारीगरी और बेमिसाल कला का नमूना है यहां का हैंडीक्राफ्ट। ये ना केवल देश में बल्कि विदेशों में भी अपनी छाप छोड़ चुका है। जयपुर, जोधपुर, उदयपुर आदि सभी जगहों के हैंडीक्राफ्ट की अलग ही खासियत है। विदेशों में यहां का हैंडीक्राफ्ट बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता रहा है। लेकिन, कोरोना काल ने हैंडीक्राफ्ट उद्योग को बहुत नुकसान पहुंचाया है। हैंडीक्राफ्ट व्यवसायियों का कहना है कि इससे जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति आज कमजोर हो चुकी है। पर, अब जैसे-जैसे स्थितियां संभल रही हैं, इस उद्योग के भी फिर से खड़े होने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। उदयपुर का हैंडीक्राफ्ट उद्योग लगभग 100 करोड़ रुपए का है। यहां से करीब 35 से 40 देशों में निर्यात किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से खाड़ी देश, यूएसए, आस्ट्रेलिया आदि कई देश शामिल हैं।
लोक कलाकार हुए बेरोजगार

कला के भरोसे ही जिंदगी गुजार रहे शहर के लोक कलाकार, कारीगर, हस्तशिल्पी और शिल्पकारों का जीवन बड़ी मुश्किल के दौर से गुजर रहा है। अपने पुश्तैनी हुनर और विरासत में मिली कला से अपनी आजीविका चला रहे इन कलाकारों पर ऐसा संकट आया है कि वे अपने इस हुनर और कला को छोडऩे तक को तैयार हैं। उनका कहना है कि पर्यटक शहर में आते थे तो उन्हें रोजगार मिलता था। उनसे ही उनका घर चलता था लेकिन अब हालात यह हैं कि उन्हें कुछ और काम भी करना पड़ रहा है ताकि आजीविका चले। कई सरकारी संस्थाओं ने लोक कलाकारों को सहारा दिया है लेकिन ऐसे कई कलाकार हैं जो आज भी संघर्ष कर रहे हैं।
पिछले 2 साल में जून माह तक आए पर्यटक

वर्ष 2021 – देसी- विदेशी

माह – देसी – विदेशी
जनवरी – 85495 – 258

फरवरी – 75890 – 341
मार्च – 49850 – 449
अप्रेल – 34850 -163
मई – —- 22

जून – लगभग 6 हजार अनुमानित

वर्ष 2019 – देसी- विदेशी

जनवरी – 91305- 23379
फरवरी – 61208- 27330

मार्च – 67625 – 24878
अप्रेल – 51605 – 11969
मई – 58715 – 4976
जून – 61260 – 3082

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