——————- करीब दो साल तक नहीं लगता है शुल्क… – यदि कोई विद्यार्थी स्नातक या स्नातकोत्तर करने के बाद दो साल के अन्तराल में डिग्री या अंकतालिकाएं ले जाता है, तो उससे कोई पैसा नहीं लिया जाता है, लेकिन यदि कोई इसके बाद लेने आता है, तो उससे तय शुल्क लिया जाता है।
– खास बात ये है कि अब तक तो विवि जो डिग्रियां व अंकतालिकाएं कॉलेजों में भेजता था, वह जो बच जाते थे वे कॉलेज तय समय के बाद फिर से विवि लौटा देते थे, इसका कारण था कि इन्हें संभालना बेहद मुश्किल होता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से तय शुल्क शुरू कर दिया गया है, ऐसे में अब विवि के साथ-साथ कॉलेजों की अलमारियां भी भरने लगी है। यानी शुल्क लेने के फेर में अब कॉलेज प्रयास करते है कि ज्यादा से ज्यादा डिग्रिंया व अंकतालिकाएं नहीं लौटाई जाए, ताकि जब भी कोई विद्यार्थी इन्हें लेने आए तो उससे शुल्क मिल सकेगा।
– विवि में ज्यादातर डिग्रिंया वर्ष 2000 से पहले की हैं, जबकि 2000 से 2018 तक डिग्रियां कॉलेजों में है। ————- ये है शुल्क 200 रुपए से लेकर 1200 रुपए तक पुरानी डिग्रियां व अंकतालिकाओं का शुल्क लिया जाता है। इसमें ….
वर्ष – तय राशि इससे पुरानी- 1200 या इससे अधिक नियमानुसार 2001.2005- 800 2006.2010- 6002011.2015- 400 2016 का 200
—— ये आ रही है समस्याएं – विवि के पास जिनकी डिग्रियां है उनके पते नहीं है। समस्या है कि कैसे भेजे। – कई विद्यार्थी जो सरकारी नौकरियों में नहंी जाकर खुद का व्यवसाय व अन्य कार्य करने में लग जाते हैं, तो उन्हें ना तो डिग्रियों की जरूरत होती है और ना ही अंकतालिकाओं की। – कई छात्राएं जिनका विवाह हो जाता है और वह किसी जॉब में नहीं है तो वे भी उन्हें ले जाने का सोचती नहीं है।
—— ये आ रही है समस्याएं – विवि के पास जिनकी डिग्रियां है उनके पते नहीं है। समस्या है कि कैसे भेजे। – कई विद्यार्थी जो सरकारी नौकरियों में नहंी जाकर खुद का व्यवसाय व अन्य कार्य करने में लग जाते हैं, तो उन्हें ना तो डिग्रियों की जरूरत होती है और ना ही अंकतालिकाओं की। – कई छात्राएं जिनका विवाह हो जाता है और वह किसी जॉब में नहीं है तो वे भी उन्हें ले जाने का सोचती नहीं है।
—— विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों से छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए डिग्री और सर्टिफि केट की वेरिफि केशन से जुड़े अनुरोधों का समयबद्ध तरीके से निपटारा करने का निर्देश दिए है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को पत्र लिखा है, यूजीसी को विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा दिये गए डिग्रियों और सर्टिफि केट की प्रमाणिकता के सत्यापन को लेकर बड़ी संख्या में अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं। जैन ने स्पष्ट किया कि यूजीसी समय समय पर छात्रों को सूचित कर रहा है कि वह डिग्रियों एवं सर्टिफि केट्स की वेरिफि केशन नहीं करता है। उन्होंने कहा कि डिग्रियों एवं सर्टिफि केट्स की वेरिफि केशन का काम संबंधित विश्वविद्यालयों को करना होता है। इसलिए विश्वविद्यालयों से आग्रह किया जाता है कि कृपया छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए डिग्री, डिप्लोमा और प्रमाणपत्रों को समय पर विद्यार्थियों को दिया जाए।
—– हमारे पास भी बड़ी संख्या में है, करीब 25 साल पुरानी तक हमारे कॉलेज में ही करीब 25 साल पुरानी डिग्रियां व अंकतालिकाएं पड़ी हैं, तय समय के बाद जो डिग्रियां या अन्य प्रमाण पत्र लेने आते है तो उसकी राशि लगती है।
प्रो पीके सिंह, प्राचार्य, कॉमर्स कॉलेज उदयपुर —– पहले ये समस्या ज्यादा थी, अब तो डिग्रिंयां व अंकतालिकाएं छात्राएं ले जाने लगी है, हालांकि करीब दस वर्षों तक की तो डिग्रियां कॉलेज में हैं, जो छात्राएं लेने आती है तो बकायदा संभालकर दी जाती है। इसकी तय शुल्क जरूर ली जाती है।
शशि सांचिहर, प्राचार्य मीरा गल्र्स कॉलेज उदयपुर
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जो डिग्रियां पुरानी पड़ी है उन्हें हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द ही संबंधित विद्यार्थियों तक पहुंचाएं। हमने इस पर काम शुरू कर दिया है। हम समस्त जानकारी ऑनलाइन कर रहे हैं, जिन्हें डिग्रिंयों की जरूरत हैं उन्हें विवि व कॉलेजों के धक्के नहीं खाने पड़े उसका विशेष ध्यान देंगे। पुरानी डिग्रियों के डेटा भी ऑनलाइन करेंगे ताकि लोग इसे आसानी से ले सके।
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जो डिग्रियां पुरानी पड़ी है उन्हें हम प्रयास कर रहे हैं कि जल्द ही संबंधित विद्यार्थियों तक पहुंचाएं। हमने इस पर काम शुरू कर दिया है। हम समस्त जानकारी ऑनलाइन कर रहे हैं, जिन्हें डिग्रिंयों की जरूरत हैं उन्हें विवि व कॉलेजों के धक्के नहीं खाने पड़े उसका विशेष ध्यान देंगे। पुरानी डिग्रियों के डेटा भी ऑनलाइन करेंगे ताकि लोग इसे आसानी से ले सके।
सीआर देवासी, रजिस्ट्रार एमएलएसयू