उदयपुर

सलूम्बर जिले में इस बार 32,445 हेक्टेयर में रबी फसल की बुवाई, अब फसल खराबा का सता रहा डर

जंगली जानवर पहुंचा रहे फसलों को नुकसान, कड़ाके की सर्दी के बावजूद खुले में सोने को मजबूर धरती पुत्र, डेरावण, साउंड सिस्टम व आग लगाकर कर रहे खेत में रखवाली

उदयपुरJan 09, 2025 / 11:43 pm

Shubham Kadelkar

खेत में डेरावण डालकर रखवाली करता किसान

गौतम पटेल/सराड़ा(सलूम्बर). एक ओर जहां केंद्र व राज्य सरकार की ओर से किसानों के लिए कई योजनाओं के माध्यम से कृषि के लिए प्रेरित किया जा रहा है। वहीं, इन दिनों कड़ाके की सर्दी के बावजूद किसान खेतों में खुले में सोकर अपनी फसलों की रखवाली करने को मजबूर है। कारण यह कि उनकी फसलों को जंगली जानवर नुकसान पहुंचा रहे है। ऐसे में मजबूरन उन्हें अलग-अलग जतन कर फसल की सुरक्षा करनी पड़ रही है। किसानों का कहना है कि सलूम्बर जिले के खेतों में सरकार की ओर से खेत के चारों ओर तारबंदी करवाई गई, मगर इससे उनकी फसलों की पूरी सुरक्षा नहीं हो पाई। रात व तड़के में जंगली जानवर नीलगाय, देसी सूअरों जो रबी की फसल को नुकसान पहुंचा रहे है। इसेे लेकर किसान अपनी फसल की रखवाली के लिए खेतों में कपड़ों के डेरावण, साउंड सिस्टम, आग लगाकर, रात भर जागकर फसलों की रखवाली कर रहे है।

बिजली की अनियमित कटौती भी डाल रही खलल

किसानों का कहना है कि न सिर्फ जंगली जानवर बल्कि बिजली निगम की लापरवाही के चलते भी क्षेत्र के किसान परेशान है। बिजली की अनियमित कटौती की जा रही है। क्षेत्र के किसानों को दिन में एक घंटा भी बिजली नहीं मिल रही है। हर 10 मिनट में बिजली गुल हो जाती है और अधिकतर किसानों को थ्री फेज बिजली की सप्लाई रात को दी जाती है, जिससे भी किसान रात में अपनी जान जोखिम में डालकर पिलाई करते है। रात के समय बिजली सप्लाई को लेकर क्षेत्र के किसानों ने कई बार जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ अधिकारियों से भी दिन में बिजली सप्लाई करने की मांग की, लेकिन आज तक इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।

सलूम्बर जिले की पंचायत समितियों में रबी फसल के आंकड़े

-सलूम्बर में गेहूं 6100, जौ 810, चना 930, सरसों 65, सब्जियां 65, हरा चारा 450, अन्य 6 हेक्टेयर सहित कुल 8426 हेक्टेयर में बुवाई हुई।
-झल्लारा में गेहूं 3200, जौ 400, चना 1600, सरसों 85, सब्जियां 58, हरा चारा 160, अन्य 6 सहित कुल 5509 हेक्टेयर में बुवाई हुई।

-सराड़ा में गेहूं 3600, जौ 450, चना 700, सरसों 130, सब्जियां 60, हरा चारा 180 अन्य 5 सहित कुल 5115 हेक्टेयर में बुवाई हुई।
-जयसमंद में गेहूं 3400, जौ 300, चना 500, सरसों 230, सब्जियां 190, हरा चारा 170, अन्य 7, कुल 4797 हेक्टेयर बुवाई हुई।

-सेमारी में गेहूं 3200, जौ 360, चना 500, सरसों 70, सब्जियां 60, हरा चारा 180, अन्य 3, कुल 4373 हेक्टेयर में बुवाई हुई।
-लसाडिया में गेहूं 2900, जौ 300, चना 700, सरसों 60, सब्जियां 62, हरा चारा 200, अन्य 3 कुल 4225 हेक्टेयर में बुवाई हुई।

सलूम्बर जिला: पूरे जिले में गेहूं 22 हजार 400, जौ 2610, चना 4930, सरसों 640, सब्जियां 495, हरा चारा 1340, अन्य 30 सहित कुल 32,445 हेक्टेयर में बुवाई की गई।

इनका कहना है…

हमारे रोजगार का साधन ही कृषि है, हमारे बड़े-बुजुर्ग कृषि कार्य करते आए है और हम भी कर रहे है, वर्तमान में नीलगाय व जंगली सूअरों सहित अन्य जानवरों से हम परेशान है। सरकार को इस ओर ध्यान देकर किसानों की पीड़ा को समय पर समझना होगा। नहीं तो आने वाले समय में हम खेती नहीं कर पाएंगे।
-पेमजी पटेल, किसान, सुरखंड का खेड़ा

कड़ाके की ठंड में भी किसान रात को जान जोखिम में डालकर फसल की रखवाली करने को मजबूर है। सरकार की योजनाओं का लाभ भी पूरा नहीं मिल पाता है। किसानों की समस्याओं के समाधान पर विशेष योजना बनाकर काम करना चाहिए।
भीमजी पटेल, किसान

क्षेत्र में रबी की फसल बहुत ही अच्छी है, किसान पूरी मेहनत कर रहा है। रही बात जंगली जानवरों की, उसे लेकर सरकार ने तारबंदी सहित कहीं योजनाएं चला रखी है, इनका लाभ उठाकर किसानों को अपनी फसल का बचाव करना चाहिए।
गजेंद्र कुमार पडिया, कृषि अधिकारी, सराड़ा

किसानों को अपनी फसलों के बचाव के लिए सरकार की ओर से तारबंदी योजनाओं का लाभ उठाकर अपनी फसल का बचाव करना चाहिए।

गौस मोहम्मद, संयुक्त निदेशक, कृषि विभाग, सलूम्बर

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