उदयपुर

महज एक चिकित्सक के भरोसे यह चिकित्सालय, दूरदराज व निजी चिकित्सालय में जाना बनी मजबूरी

ग्रामीणों बोले- क्रमोन्नत तो कर दिया, कब दोगे सुविधाएं व उपचार, अव्यवस्थाओं के आलम से आमजन परेशान

उदयपुरNov 08, 2024 / 06:09 pm

Shubham Kadelkar

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन

नरेश कुमार वेद/लसाड़िया. उपखण्ड मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में इन दिनों अव्यवस्थाओं का आलम है। एक ओर जहां मौसमी बीमारियों दिन ब दिन अपने पैर पसार रही है। गांव-गांव में मलेरिया, डेंगू रोग से ग्रामीण ग्रस्त हो रहे है। लेकिन लसाडि़या ब्लॉक का सीएचसी महज एक चिकित्सक के भरोसे चल रहा है। जिससे मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने से सभी सुविधाएं होने थी, परंतु कोई सुविधा नहीं होने से मरीजों को लसाड़िया अस्पताल से कानोड़, भींडर, उदयपुर जाना पड़ता है। मरीजों ने बताया कि वार्ड में बेड पर बेड शीट तक नहीं बिछा रखी है। ऐसे में मरीजों का बिना बेड शीट के ही खाट पर उपचार किया जाता है। बेड शीट के लिए पूछने पर बताया कि बेड सीट धुलवाने दे रखी है। चिकित्सालय का मुख्य दरवाजा टूटा हुआ है। इंजेक्शन रूम का भी दरवाज़ा टूटा हुआ है। हॉस्पिटल में लाइट की कोई व्यवस्था नहीं है। वार्डों में लाइट चली जाने पर इन्वर्टर की व्यवस्था नहीं होने से अंधेरा रहता है। अस्पताल में लाइट चली जाने पर भी डीजी जनरेटर होने के बाद भी उसका एक भी बार उपयोग नहीं किया गया। जनरेटर पड़े-पड़े महज धूल फांक रहा है।

गायनिक चिकित्सक नहीं होने से निजी चिकित्सालय में जाना मजबूरी

लसाड़िया अस्पताल में गायनिक चिकित्सक का पद स्वीकृत नहीं होने से प्रसूता महिलाएं बाहर के निजी अस्पताल में जाने को मजबूर है। ग्रामीणों ने चिकित्सालय के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ, बच्चों का डॉक्टर, फिजिशियन पद स्वीकृत करवाने की मांग की। बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर 100 से 150 तक डिलिवरी होती हैं। तब भी महिला गायनिक चिकित्सक नहीं है।

चिकित्सालय के अधिकांश पद खाली

मरीजों ने बताया कि प्रसूता महिलाओं को डिजिटल सोनोग्राफी करवाने कानोड़, सलूम्बर, भींडर, बोहेड़ा, उदयपुर जाना पड़ता है। जबकि यह सुविधा लसाड़िया अस्पताल में होनी थी, परन्तु यहां पर कोई सुविधा नही है। अस्पताल में सीबीसी बन्द है। साथ ही कोई भी जांच सुविधा नहीं है। ऐसे में मरीजों को बाहर जाना पड़ता है। लसाड़िया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर कई पद रिक्त है। लसाड़िया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर वरिष्ठ चिकित्सक 1 पद, कनिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सक 2 पद, चिकित्सा अधिकारी 2 पद, दंत चिकित्सक 1 पद, तकनीकी सहायक 1 पद, लेबटेक्निशियन 1 पद, महिला स्वास्थ्यदर्शिका 1 पद, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता 1 पद, लेखाकार 1 पद, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 1 पद, लेखाकार एनआरएचएम 1 पद, रेडियोग्राफर 1 पद रिक्त है। लेबटेक्निशियन का पद रिक्त होने से जांच नहीं हो रही है। जांच करवाने बाहर जाना पड़ रहा है। ऑपरेशन थियेटर है, लेकिन चिकित्सक नहीं है। औजारों में जंग लग रहा है। लेबर रूम में प्रसव के दौरान लाइट तक चली जाती, ऐसे में मरीज काफी परेशान है।

50 बेड तक बढ़ाने की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जब से क्रमोन्नत हुआ, तब से इस अस्पताल में बेड नहीं बढ़ाए गए। अस्पताल में महज 30 बेड ही है। अस्पताल में 50 बेड तक बढ़ाने की मांग की गई। साथ ही मरीजों को भर्ती करने का एक भी वार्ड नहीं है। तीन दिन किसी मरीज को भर्ती करना हो तो कोई वार्ड तैयार नहीं है। लसाड़िया सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर पार्किंग व्यवस्था नहीं होने से एक से अधिक दो एंबुलेंस आने पर अव्यवस्था हो जाती है।

बीसीएमओ कार्यालय के भी यही हाल

सीएचसी के साथ-साथ मुख्य खण्ड चिकित्सा अधिकारी लसाडि़या कार्यालय के भी यही हाल है। यहां लेखाकार, सूचना सहायक, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद रिक्त हैं। पिछली सरकार ने भी इन रिक्त पदों पर ध्यान नहीं दिया। अब कार्य के चलते यहां भी परेशानी हो रही है।

इनका कहना है

अस्पताल एक चिकित्सक के भरोसे चल रहा है व कई पद रिक्त है। समय रहते पद नहीं भरे गए तो आंदोलन किया जाएगा। मौसमी बीमारी से घर-घर बीमार है। अस्पताल में रोज के 100 से 150 रोज मरीज आ रहे है।
-लक्ष्मणलाल मीणा, गणेश सेवा संस्थान, लसाड़िया

अस्पताल में एलटी को प्रतिनियुक्ति पर लगा रखा है, प्रतिनियुक्ति निरस्त कर लसाड़िया अस्पताल में लगाया जाए। सीबीसी मशीन खराब होने से डेंगू की जांच नहीं हो रही है।
-पूरणमल लोहार, ग्रामीण, लसाड़िया

यहां 100 से 150 डिलीवरी हर महीने होती है। परंतु गायनिक चिकित्सक नहीं है। डिजिटल सोनोग्राफी लगाने से सुविधा होगी।

-शैलेश प्रजापत, युवा सामाजिक कार्यकर्ता

आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद लसाड़िया अस्पताल में कोई सुविधा नहीं होने से ग्रामीणों को कानोड़, भींडर, सलूम्बर, उदयपुर, बड़ीसादड़ी जाना पड़ रहा है। सभी सुविधा लसाड़िया अस्पताल में हो तो मरीजों को कही नहीं भड़कना पड़ेगा।
-रोशनलाल मीणा, ग्रामीण

अस्पताल में वार्ड नहीं होने से मरीजों को भर्ती नहीं कर सकते है। भर्ती वार्ड बनाने की व्यवस्था की जाए।

बाबूलाल प्रजापत, ग्रामीण

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