भुवाणा-रूपनगर स्थित राजेन्द्र नगर में एक भू-व्यवसायी ने प्रस्तावित 60 फीट रोड में आ रही जमीन के कुछ हिस्से को बचाने के लिए यूआइटी के नाले को ही पाटने के लिए पास में गड्ढा खोद दिया। इस गड्ढे में नया नाला बनाने के लिए वहां दिन-रात काम चल रहा है और यूआइटी के अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है। पत्रिका टीम मौके पर पहुंची तो हडक़ंप मच गया। राजस्थान पत्रिका ने अधिकारियों को बताया तो उन्होंने यूआइटी की ओर से मौके पर किसी भी तरह का काम करने से इनकार किया है।
भुवाणा-रूपनगर के राजेन्द्र नगर में यूआइटी ने पक्का नाला निकाल रखा है। इस नाले में चित्रकूट नगर व उसके आसपास के केचमेंट एरिया का पानी आता है। यह पानी नाले से राजेन्द्र नगर, डीपीएस स्कूल के पास से मनीष विहार होते हुए सीधा रूपसागर तालाब में गिरता है।
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सडक़ में जा रही जमीन को बचाने के लिए कारगुजारी
बताया जा रहा है कि राजेन्द्र नगर में भू-व्यवसायी की जमीन है, उस जमीन के आगे नाले के पास ही यूआइटी की करीब 60 फीट रोड प्रस्तावित है। वर्तमान में नाले के पास 20 फीट रोड जा रही है। भविष्य में 60 फीट रोड निकलती है तो भू-व्यवसायी की उस जमीन में 30 से 40 फीट जमीन जाती है। इस जमीन को बचाने के लिए उसने यूआइटी के नाले को ही शिफ्ट कर दिया। नाले के पास खाली पड़ी 20 फीट जमीन पर नया गड्ढा खोदकर वहां नाला निकाला जा रहा है जो वर्तमान नाले से करीब 5 से 7 फीट छोटा है। यहां नाला शिफ्ट होते ही भू-व्यवसायी वहां पुराने नाले को पाट देता है तो करीब 50 फीट मार्ग हो जाएगा और व्यवसायी की जमीन का 10 फीट हिस्सा ही जाएगा। अभी अगर नाले को नहीं पाटा जाता है व्यवसायी की 40 फीट जमीन जाती है। इसके अलावा जहां यह नाला शिफ्ट किया जा रहा है, वहां अन्य की जमीन मालिक को नुकसान है।
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मौके पर यूआइटी ऐसा कोई कार्य नहीं कर रही है। अगर वहां कुछ हो रहा है तो गलत है, इसे दिखवाते हैं।
विमलेन्द्र सिंह राणावत, तहसीलदार यूआइटी
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भुवाणा-रूपनगर के राजेन्द्र नगर में यूआइटी ने पक्का नाला निकाल रखा है। इस नाले में चित्रकूट नगर व उसके आसपास के केचमेंट एरिया का पानी आता है। यह पानी नाले से राजेन्द्र नगर, डीपीएस स्कूल के पास से मनीष विहार होते हुए सीधा रूपसागर तालाब में गिरता है।
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सडक़ में जा रही जमीन को बचाने के लिए कारगुजारी
बताया जा रहा है कि राजेन्द्र नगर में भू-व्यवसायी की जमीन है, उस जमीन के आगे नाले के पास ही यूआइटी की करीब 60 फीट रोड प्रस्तावित है। वर्तमान में नाले के पास 20 फीट रोड जा रही है। भविष्य में 60 फीट रोड निकलती है तो भू-व्यवसायी की उस जमीन में 30 से 40 फीट जमीन जाती है। इस जमीन को बचाने के लिए उसने यूआइटी के नाले को ही शिफ्ट कर दिया। नाले के पास खाली पड़ी 20 फीट जमीन पर नया गड्ढा खोदकर वहां नाला निकाला जा रहा है जो वर्तमान नाले से करीब 5 से 7 फीट छोटा है। यहां नाला शिफ्ट होते ही भू-व्यवसायी वहां पुराने नाले को पाट देता है तो करीब 50 फीट मार्ग हो जाएगा और व्यवसायी की जमीन का 10 फीट हिस्सा ही जाएगा। अभी अगर नाले को नहीं पाटा जाता है व्यवसायी की 40 फीट जमीन जाती है। इसके अलावा जहां यह नाला शिफ्ट किया जा रहा है, वहां अन्य की जमीन मालिक को नुकसान है।
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मौके पर यूआइटी ऐसा कोई कार्य नहीं कर रही है। अगर वहां कुछ हो रहा है तो गलत है, इसे दिखवाते हैं।
विमलेन्द्र सिंह राणावत, तहसीलदार यूआइटी
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