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भगवा रंग के कारण अंग्रेजों ने इस पक्षी का नाम ‘ब्राह्मणी डक’ रख दिया

पक्षी का नाम : रडी शेल डक (ब्राह्मणी डक), वैज्ञानिक नाम : टैडोरना फेरूजीनिया, जाति : फेरूजीनिया, वंश : टैडोरना, परिवार : अनाटीडी, कहां से आता है : सेंट्रल एशिया, कजाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और हिमालय पार शीत प्रदेशों से

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भगवा रंग के कारण अंग्रेजों ने इस पक्षी का नाम 'ब्राह्मणी डक' रख दिया

भगवा रंग के कारण अंग्रेजों ने इस पक्षी का नाम 'ब्राह्मणी डक' रख दिया

मेनार . बर्ड विलेज मेनार के धण्ड तालाब में दूर से ही गहरे सुनहरे रंग का ये रडी शेल डक पक्षी जोड़े में तालाब किनारे आसानी से ही दिखाई पड़ता है। इस पक्षी को सुर्खाब यानी ब्राह्मणी डक के अलावा पानी का चकवा भी कहा जाता है। इस पक्षी के बेहद सुदर पंख इसकी शान है।
एेसी होती है बनावट
रडी शेल डक का रंग गाढ़ा नारंगी या हल्का कत्थई होता है। इसकी गर्दन और सिर बदामी होता है। नर पक्षी की गर्दन के चारों ओर एक काला कंठा रहता हैं, लेकिन मादा इस कंठे से रहित होती है। इसकी पूंछ और पंख काले-सफेद होते हैं। सामान्यत: यह करीब 70 सेंटीमीटर लंबा होता है वही पंख फैलाव के दौरान यह 130 सेमी हो जाता है। यह हमेशा जोड़े में रहता है।

यह है इसकी खासियत

पक्षीविद विनय दवे के अनुसार रडी शेल डक शर्मीले स्वभाव के लेकिन बेहद चौकन्ने होते हैं। हल्की सी आहट होने पर भी ये उड़ जाते हैं और स्थिति सामान्य होने पर ही बैठते हैं। अंग्रेजों ने इसके भगवा रंग के कारण इसका नाम ब्राह्मणी डक नाम रखा था। इसकी आवाज बहुत तेज होती है। ये पक्षी पानी के अंदर गर्दन डालकर और पैर ऊपर कर शिकार करता है। ये सर्वाहारी होते हैं। जो घास, छोटे अंकुर, छोटे पौधे, अनाज तथा कीट पतंगे खा लेता है। ये बड़ी संख्या में मेवाड़ क्षेत्र में शीत प्रवास पर आते हैं। यह अपना प्रजनन काल हिमालय मध्य एशिया में व्यतीत करता है।