55 साल से नहीं बदला शहर का राजस्व रेकॉर्ड
दरअसल, उदयपुर नगर निगम की ओर से वर्ष 2012 में राज्य सरकार को शहरी सीमा विस्तार के प्रस्ताव भिजवाए गए थे। इनमें 34 राजस्व गांवों को निगम सीमा में शामिल किया जाना था। ये प्रस्ताव पिछले 12 साल से फाइलों के बाहर नहीं निकल पाए हैं। सरकारी कार्यालयाें में चिट्ठी पत्रियां घूम रही है। सवाल पूछे जा रहे हैं, जवाब दिए जा रहे हैं, लेकिन सीमाओं में बदलाव पर फैसला नहीं हो रहा है। बता दें कि उदयपुर नगर निगम की सीमा का विस्तार अंतिम बार 1969 में हुआ था। तब गोवर्धन विलास व प्रताप नगर सहित कुछ हिस्से शहर में शामिल किए गए थे। यानी 55 वर्ष से शहर की सीमा का विस्तार नहीं हुआ है।इन गांवों को शहर में शामिल करने के प्रस्ताव
1. बड़गांव 2. हवाला खुर्द 3. हवाला कला 4. सीसारमा 5. देवाली (गोवर्धन विलास)6. बलीचा7. सवीना खेड़ा 8. जागी तालाब 9. नेला 10. तितरड़ी 11. धोल की वाड़ी 12. गुश्वर मगरी 13. बिलियां 14. फांदा 15. मनवा खेड़ा 16. एकलिंगपुरा 17. कलड़वास 18 . कानपुर19. बेड़वास
20. देबारी 21. झरनों की सराय 22. धोली मगरी 23. रकमपुरा 24. रेबारियों का गुढ़ा 25. रघुनाथपुरा 26. रूपनगर 27. आयड़ ग्रामीण 28. शोभागपुरा 29. देवाली (फतहपुरा)
30. भुवाणा 31. सुखेर 32. सापेटिया 33. बेदला खुर्द 34. बेदला
इनका कहना …
वाकई शहरीकृत इलाकों में पंचायतीराज के चुनाव होना बड़ी विसंगती है। हमने इस मुद्दे को संगठन के स्तर पर उठाया भी है। प्रयास करेंगे कि आगामी निगम चुनाव से पहले इस मामले में सकारात्मक परिणाम आएं। – चंद्रगुप्त सिंह चौहान, जिलाध्यक्ष देहात भाजपा विकसित इलाकों को नगर निगम में शामिल नहीं किए जाने से लोगों को कई परेशानियां झलनी पड़ रही है। पंचायतीराज के जनप्रतिनिधियों के अधिकार भी सीमित हो गए हैं। इस मामले में सरकार को जल्द फैसला कर परिसीमन प्रक्रिया को अमलीजामा पहनाया जाना चाहिए।
– कचरू लाल चौधरी, जिलाध्यक्ष देहात कांग्रेस