उदयपुर में बडग़ांव क्षेत्र के रामगिरी निवासी भाटी इन दिनों जबलपुर के प्रशिक्षण केन्द्र में कार्यरत हैं। वहां सेना में आने वाले जवानों को प्रशिक्षण देने का काम रहता है। एनसीसी एयरविंग के सिक्स राज एयर स्काउन्ड्रन में 2006 से 2008 तक रहे। इसके बाद थल सेना की 2 ग्रेनेडियर आमी वर्ष 2009 में ज्वाइन की। बकौल मेजर बचपन से ही उन्हें सेना में जाने की तमन्ना थी, इसलिए एनसीसी ज्वाइन की। उन्होंने कश्मीर का किस्सा सुनाया और कहा कि हर सैनिक वहां अपनी जान हथैली पर रखकर चलता है, लेकिन उसे हर पल गर्व का अनुभव होता है। उन्होंने वहां आतंकियों से घायल हुए अपने एक साथी की जान बचाई तो लगा कि जिस काम की मन में ठानी थी वह अब पूरा कर रहे है। कश्मीर के वह पांच ऑपरेशन वह आजीवन नहीं भूलेंगे। पिता सुभाषचन्द्र भाटी , पशुपालन विभाग से सेवानिवृत्त हुए। मां शैलकुवर गृहणी है। मेजर की एक बड़ी बहन है। पत्नी अन्नपूर्णा, बेटी लोकाक्षी छह वर्ष की है। सभी को उनपर गर्व है। एनसीसी के बारें में बताया कि व्यक्ति का जीवन एनसीसी से बदल जाता है। प्रसन्नता है कि जहां आना था, वहां आया। मातृभूमि की सेवा कर रहे है। देश के तीन कौने घूम चुके है। जहां भेजेंगे वहां जाकर सेवा करते रहेंगे।