इस तरह से होता है ऊर्जा का भंडारण
भंडारण उन तकनीकों को बताता है, जो बिजली जुटा सकती है। इसे ऊर्जा के दूसरे रूप, जैसे कि रासायनिक, थर्मल, मैकेनिकल के रूप में संग्रहित कर सकती है। जरूरत पडऩे पर इसे इस्तेमाल के लिए छोड़ा जा सकता है। लिथियम बैटरी ऐसी ही एक तकनीक है। हालांकि ऊर्जा भंडारण का उपयोग करना कभी 100 प्रतिशत कुशल नहीं होता है। ऊर्जा को परिवर्तित करने और उसे पुन: प्राप्त करने में हमेशा कुछ ऊर्जा नष्ट होती है। यह भी पढ़ें
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उत्पादन प्रकार उत्पादक क्षमताऑफ ग्रिड – 618
कुसम योजना – 140
रूफटॉप – 1048
हाइब्रिड – 1560
बायो मास – 128
पवन ऊर्जा – 5208
कुल रिन्यूएबल – 24800
(मेगावाट में है )
सौर ऊर्जा की देश-प्रदेश में स्थिति
195 गीगावॉट कुल रिन्यूएबल एनर्जी देश में 21 गीगावॉट तक बढ़ाने का लक्ष्य है इस साल 1048 मेगावाट के रूपटॉप सोलर सिस्टम प्रदेश में 15195 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन प्रदेश में
प्रदेश में सौर ऊर्जा के बड़े स्रोत
सोलर पार्क – उत्पादन फलौदी पोकरण – 750 फतेहगए़ फेज 1बी – 1500 नोख – 925 पूगल – 2450 (उत्पादन: मेगावाट में) यह भी पढ़ें
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बरसाती दिनों में सौर ऊर्जा का उत्पादन प्रभावित होना स्वाभाविक प्रक्रिया है। ऐसे में रूपटॉप सोलर उपभोक्ता की निर्भरता निगम की बिजली पर ज्यादा हो जाती है। हालांकि इन दिनों में बिजली की खपत भी कम हो जाती है, इसलिए बिजली उत्पादन और खपत में संतुलन रहता है। भविष्य में इस स्थिति से निपटने के लिए विकल्प की जरूरत रहेगी। इसके लिए पवन ऊर्जा को बढ़ावा दिया जा सकता है, जो मौसम से प्रभावित नहीं होती। पवन ऊर्जा के छोटे प्रारूप का इस्तेमाल बढ़ाया जा सकता है।-
वाई.के. बोलिया, रिटायर्ड एसइ व ऊर्जा सलाहकार