होता है पंचामृत स्नान
कृष्ण जन्मोत्सव पर आराध्य प्रभु श्रीनाथजी को मंगला की झांकी के दर्शन के समय विशेष शंखनाथ के साथ दूध, दही, घी, मिश्री का बुरा एवं शहद के साथ पंचामृत स्नान कराया जाएगा। मन्दिर परिसर में परम्पंरपरानुसार जन्माष्टमी के दिन मन्दिर के राजपुरोहित द्वारा प्रात: कृष्णावतार के विवरण के साथ श्रीकृृष्ण की जन्मकुण्डली मन्दिर के मणिकोठे में सुनाई जाएगी।
21 तोपों की सलामी
भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की खुशी में रात्रि को 12 बजे रिसालाचौक में 21 तोपों की सलामी दी जाएगी तथा मन्दिर मुख्यद्वार पर नक्कारखाने से ढ़ोल, नक्कारे, बिगुल, शहनाई आदि की मधुर ध्वनी से पूरा नाथद्वारा नगर गुंजायमान होगा।
भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की खुशी में रात्रि को 12 बजे रिसालाचौक में 21 तोपों की सलामी दी जाएगी तथा मन्दिर मुख्यद्वार पर नक्कारखाने से ढ़ोल, नक्कारे, बिगुल, शहनाई आदि की मधुर ध्वनी से पूरा नाथद्वारा नगर गुंजायमान होगा।
बिगुल वादन के बाद होती थी सलामी
बदलते युग एवं मोबाइल के जमाने में मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर तोपों की सलामी दी जाती है। इस दौरान मंदिर के मोतीमहल पर स्थित छतरी में मंदिर का गार्ड बिगुल बजाता था, जिसकी आवाज लगभग 300 मीटर से कुछ अधिक की दूरी पर स्थित रिसाला चौक तक जाती थी, जहां से तोपों की सलामी प्रारंभ की जाती थी, लेकिन अब कोलाहल बढऩे के साथ ही मोबाइल का युग होने से श्रीनाथ गार्ड के कमांडिंग को मोबाइल पर बिगुल बजाने की सूचना मिल जाती है। उसके बाद तोपों की सलामी देना प्रारंभ कर दिया जाता है। श्रीजी की नगरी में इस वर्ष ऐसा संयोग रहा कि जन्माष्टमी के अलावा गत 27 मार्च को रिसाला चौक में शाम 5 बजे तोपों की सलामी दी गई। वल्लभ कुल में 40 साल के बाद नन्हे युवराज के जन्मदिन पर यह आयोजन हुआ।
बदलते युग एवं मोबाइल के जमाने में मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्म के अवसर पर तोपों की सलामी दी जाती है। इस दौरान मंदिर के मोतीमहल पर स्थित छतरी में मंदिर का गार्ड बिगुल बजाता था, जिसकी आवाज लगभग 300 मीटर से कुछ अधिक की दूरी पर स्थित रिसाला चौक तक जाती थी, जहां से तोपों की सलामी प्रारंभ की जाती थी, लेकिन अब कोलाहल बढऩे के साथ ही मोबाइल का युग होने से श्रीनाथ गार्ड के कमांडिंग को मोबाइल पर बिगुल बजाने की सूचना मिल जाती है। उसके बाद तोपों की सलामी देना प्रारंभ कर दिया जाता है। श्रीजी की नगरी में इस वर्ष ऐसा संयोग रहा कि जन्माष्टमी के अलावा गत 27 मार्च को रिसाला चौक में शाम 5 बजे तोपों की सलामी दी गई। वल्लभ कुल में 40 साल के बाद नन्हे युवराज के जन्मदिन पर यह आयोजन हुआ।
नंदमहोत्सव पर दूध-दही का छिडक़ाव
इसी प्रकार रविवार को नन्द महोत्सव के अवसर पर सम्पूर्ण मन्दिर में श्रीजी के बड़े मुखियाजी द्वारा नन्द स्वरूप धारण कर दूध-दही का छिडक़ाव ग्वाल-बालों के संग मिलकर किया जाता है। मंदिर के मणिकोठे में तिलकायत महाराज व विशाल बावा भी पदार्पण कर नृत्य करेंगे। पुष्टिमार्गीय वल्लभ संप्रदाय की प्रधानपीठ होने से जन्माष्टमी के अवसर पर कई मंदिरों में रात्रि को 12 बजे दर्शन खुलते हैं, जबकि श्रीनाथजी के दर्शन रात्रि को लगभग आठ बजे ही खुल जाते हैं और 12 बजे पहले बंद हो जाते हैं।