उदयपुर

थाट, तराना, ठुमरी, सूफी के अलावा बाउल संगीत पर शास्त्रीय नृत्य शैली ने बांधा समां

– देश के विभिन्न अंचलों की लोक कलाएं हो रही एक मंच पर साकार Shilpgram Utsav 2019

उदयपुरDec 28, 2019 / 12:21 am

Rakesh Rajdeep

थाट, तराना, ठुमरी, सूफी के अलावा बाउल संगीत पर शास्त्रीय नृत्य शैली ने बांधा समां

उदयपुर . shilpgram Utsav 2019 पारम्परिक लोक कलाओं की मनोरम प्रस्तुतियों सहित हस्तशिल्प उत्पाद के लिए देश-दुनिया में ख्यात शिल्पग्राम उत्सव में दस दिवसीय कार्यक्रमों के तहत कलांगन इन दिनों सैलानियों से गुलजार है। जहां पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से सातवें दिन विदेश से आये कलाकारों द्वारा कथक की प्रभावपूर्ण प्रस्तुति ने भारतीय कलाओं की वैश्विक पहचान को स्थापित किया। इधर, हाट बाजार में कलात्मक वस्तुओं और फूड जोन में लजीज व्यंजनों की महक ने दूर-दराज से आये मेलार्थियों को खासा लुभाया। Shilpgram Utsav 2019
शिल्पग्राम उत्सव दिनभर लोकानुरंजन गतिविधियों के बीच शहरवासियों और देशी-विदेशी पर्यटकों ने मुख्य द्वार सहित दर्पण द्वार पर लोक कलाकारों संग उमंगों की स्मृतियां साझा की। इस दौरान एक ओर जहां चोपाल पर बारां की कंजर नृत्यांगनाओं के चकरी नृत्य को आमजन ने मोबाइल कैमरों में कैद किया। वहीं दूसरी ओर पगडण्डियों पर घूमते बहुरूपिया कलाकारों के साथ हंसी ठट्ठा कर फोटो-सेल्फी खींचे।
चर्चा में हाट बाजार के ये आकर्षण


मृण कुंज में खुर्जा पॉटरी के कप रकाबी, हैण्ड वॉश बॉटल, कॉफी मग, केतली, मिट्टी के गिलास, वॉटर बॉटल, मूर्तियां, धातु व पीतल की कलात्मक व डेकोरेटिव आइटम्स, आर्टिफिशियल ज्वैलरी, वाइट मेटल ज्वैलरी, गाडिय़ा लोहार द्वारा निर्मित तवे, चिमटे आदि हाट बाजार के आकर्षण बने हैं। साथ ही मौसम के मिजाज अनुरूप दाल की पकौडी, मक्के की राब, हरियाणा का जलेबा, दिल्ली की चाट, राजस्थानी दाल-बाटी-चूरमा, कश्मीरी कहवा, पंजाबी, गुजराती, मराठी व्यंजन भी मेले में हर किसी को तृप्त कर रहे हैं।
गुलाबी शाम मुक्तकाशी कलांगन पर कनाडा से आये कलाकारों ने ऊषा गुप्ता के नेतृत्व में कथक की प्रस्तुति दी। दल ने ‘खोजÓ शीर्षक प्रस्तुति में कथक के मूल तत्वों के साथ समसामयिक प्रयोग और सम्मिश्रण से अलग प्रभाव पैदा किया। प्रस्तुति में दल ने थाट, तराना, ठुमरी, सूफी के अलावा कबीर व पश्चिम बंगाल के बाउल संगीत का समावेश किया। Shilpgram Utsav 2019
इससे पूर्व रंगमंच पर उत्तराखण्ड का छपेली नृत्य रोमांटिक प्रस्तुति बना। वहीं, आेडीशा के कृषक समुदाय के सिंगारी नृत्य और मणिपुर का पुंग ढोल चोलम ने दर्शकों में जोश का संचार किया। कार्यक्रम में पंजाबी गिद्दा और भांगड़ा की धमाकेदार प्रस्तुतियों ने वातावरण में

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