ये तमाम विद्यार्थी 30 अक्टूबर तक पुराने लौह कबाड़ से कला की अनुपम कृतियां तैयार करेंगे। जिन्हें रंग रोगन के बाद शहर के प्रमुख चौराहों पर लगाने की योजना है।
आयोजन से जुड़े शैल चोयल ने बताया कि पहले दो दिन स्टूडेंट्स ने मादड़ी स्थित कबाड़ी की दुकानों से स्क्रैप देखने और उनके अनुसार ‘मैकेट’ (नमूना प्रतिकृति) तैयार करने में लगाए। उसके बाद से लगातार 14 से 16 घंटे सृजन में लगे रहकर जंग खाए कबाड़ जैसे कीलें, कटर ब्लेड्स, पाइप, कमानी, एंगल, चेन-पुली और आइरन शीट से आधुनिक मूर्ति शिल्प की रचना कर रहे हैं। जिनमें ज्यादातर 8 से 10 फीट लंबे होंगे।
ये सब निभा रहे भागीदारी
देवर्षि रनिंगा, भाविन राज, अर्बुज पटेल, अक्षय उजैनिया, कौतुक चौधरी, निकुंज लुनागरिया, फोरम बेरावाला, केता गज्जर, दिशा तम्बोली, निश्वा पटेल, मैत्रेयी गामित, रुचि पटेल, रिया लालवानी, विश्वा केलावाला, पंकित गज्जर, करिश्मा जेठवा और कुंभन वया।