वल्लभनगर उपखण्ड के नवानिया स्थित पशु चिकित्सालय एवं पशु महाविद्यालय में सोनाड़ी नस्ल की करीब 250 भेंड़ें मौजूद हैं। इन्हें अब तक की व्यवस्था के तहत तीन शेड में रखा जाता है। पैरासाइट्स संक्रमण के बीच बीते 24 नवम्बर से अब तक करीब 30 भेंड़ें बीमारी के बीच एक-एक कर दम तोड़ चुकी हैं। इनमें से करीब 15 भेंड़ें गर्भवती थी। महाविद्यालय के जिम्मेदारों ने बीमारी के सामने आने के बाद समूह में करीब 50 भेंड़ों को बीमारी की चपेट में मानते हुए अलग बाड़े में शिफ्ट किया है।
वैज्ञानिक तथ्यों पर गौर करें तो इस बार उदयपुर के ग्रामीण इलाकों में अतिवृष्टि वाली बरसात हुई है। ऐसे में नमी में रहने वाले घोंघे पानी की अधिकता के बीच बरसात से भीगी जमीन पर रेंगने लगते हैं। इनसे पैरासाइट्स लार्वा घास तक पहुंचता है। चूंकि भेंड़ें परिसर में घास का अधिक सेवन कर लेती हैं। ऐसे में यह संक्रमण भेंड़ों के भीतर जगह बना लेता है। बैक्टीरियल संक्रमण भेंड़ों को कमजोर बना देता है। इससे उनके भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता एवं भोजन पाचन की क्षमता खत्म हो जाती है। अंतोगत्वा अधिक बीमार भेंड़ें दम तोड़ देती हैं।
इस पूरे मामले में खास बात यह रही कि वैज्ञानिक तरीकों से पशुओं का उपचार करने वाले महाविद्यालय के नुमाइंदों ने मरने वाली भेंड़ों का पोस्टमार्टम तो किया, लेकिन अन्य पशुओं में संक्रमण को रोकने के लिए भेंड़ों के शव को दफनाने से दूरी बनाए रखी। खुले में पड़े इन शवों को अब जंगली जीव, श्वान और शिकारी पक्षी नोंच-नोंच कर खा रहे हैं। इससे बीमारी का दूसरे जीवों में भी पहुंचने का संकट बना हुआ है।
एकाएक मरने वाली भेंड़ों के मामले पर गंभीरता दिखाते हुए महाविद्यालय प्रशासन ने मौत के कारणों को जानने के लिए कमेटी भी बनाई। कमेटी में परजीवी विज्ञान, सूक्ष्मजीव विज्ञान, मेडिसिन एवं पैथोलॉजी विभाग के नुमाइंदों की ओर से भेंड़ों के नमूने लिए गए। बाद में इसकी रिपोर्ट तैयार कर मौत के कारणों का खुलासा किया गया।
हकीकत में पैरासाइट्स संक्रमण एकाएक पकड़ में नहीं आता। घास के साथ लार्वा भीतर जाने के बाद भेड़ में करीब सात दिन बाद इसके लक्षण सामने आते हैं। मामला सामने आने के बाद भेंड़ों की खुले में होने वाली चराई रोक दी है। वर्तमान में हालात नियंत्रण में बने हुए हैं। बीमार भेड़ों को अलग शेड में रखा गया है।
डॉ. विष्णु कुमार, प्रभारी, मेगा भेड़ परियोजना
भेंड़ों की बीमारी सामने आई थी। इसके बाद जांच कमेटी बनाकर इसकी रिपोर्ट मांगी है। sheep death शेष भेंड़ों के उपचार को लेकर आवश्यक निर्देश दिए हैं।
डॉ. त्रिभुवन शर्मा, डीन, पशु चिकित्सा व पशु महाविद्यालय नवानिया