सलूम्बर से जुड़े रोचक पहलू
-सलूम्बर सीट शुरुआत से ही जनजाति रिजर्व सीट रही है। शुरुआती तीन चुनाव तक इस सीट पर दो विधायक चुने जाते थे। -सलूम्बर सीट कई बार बनती-बिखरती रही। शुरुआती सालों में सलूम्बर सीट सराड़ा के साथ कही जाती थी। पहले सलूम्बर सीट का दायरा कुराबड़ और शहर के बेड़वास तक रहा था। उस समय उदयपुर ग्रामीण सीट अस्तित्व में नहीं थी। -उदयपुर ग्रामीण सीट बनने पर पेराफेरी क्षेत्र इसमें शामिल किया गया। कुराबड़ को वल्लभनगर में जोड़ा और फिर सलूम्बर का दायरा तय हुआ।