उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में आएगा एशियाटिक लॉयन का जोड़ा, मुहूर्त तय
लॉयन सफारी के ‘राजा-रानी’ की अगवानी को उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क तैयार है। एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से 14 वन्यजीव जाएंगे। इसके लिए 24 जुलाई से 3 अगस्त के बीच का मुहूर्त तय किया गया है।
उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में आएंगे एशियाटिक लॉयन का जोड़ा, मुहूर्त तय
उदयपुर में जिनका इंतजार था, वो घडियां आने वाली है। उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में बन रहे लॉयन सफारी को आबाद करने के लिए गुजरात के जूनागढ़ स्थित सक्करबाग चिड़ियाघर से शेर-शेरनी (एशियाटिक लॉयन) के जोड़े को लाने की तैयारियां शुरू हो गई है। इसके लिए 24 जुलाई से 3 अगस्त के बीच का मुहूर्त तय किया गया है।
मंजूरी मिलते ही उदयपुर की टीम जूनागढ़ होगी रवाना
मुख्य वन्यजीव संरक्षक की मंजूरी मिलते ही उदयपुर की टीम जूनागढ़ के लिए रवाना हो जाएगी। यह टीम सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से 14 छोटे वन्यजीवों को लेकर जाएगी, जिनके बदले हमें शेर-शेरनी का जोड़ा दिया जाएगा। वन्यजीवों की शिफ्टिंग की सारी प्रक्रिया संभागीय मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एसआरवी मूर्थि की देखरेख में चल रही है। यहां से जाने वाली टीम जूनागढ़ पहुंचने के बाद उदयपुर लाए जाने वाले शेर-शेरनी के जोड़े को निगरानी में रखेंगे। एक-दो दिन उनकी दिनचर्या और उनके व्यवहार को समझने के बाद जूनागढ़ चिड़ियाघर की गाड़ी से ही इन्हें उदयपुर तक लाया जाएगा।
जूनागढ़ चिड़ियाघर से आने वाले शेर-शेरनी राजस्थान के उदयपुर के सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में अपना परिवार बनाएंगे। भविष्य में यहां लॉयन के ब्रीडिंग सेंटर विकसित करने की योजना है।
जूनागढ़ से एशियाटिक लॉयन का जोड़ा लाने की तैयारी शुरू
उपवन संरक्षक (वन्यजीव) एवं सचिव जन्तुआलय ट्रस्ट, उदयपुर देवेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि केंद्रीय जन्तुआलय प्राधिकरण की मंजूरी के मुताबिक जूनागढ़ से एशियाटिक लॉयन का जोड़ा लाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है।
तेज गति से चल रहा सफारी का कार्य
सज्जनगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में जन्तुआलय विकास ट्रस्ट की ओर से 20 हैक्टेयर क्षेत्र में लॉयन सफारी का निर्माण किया जा रहा है। जिस पर ट्रस्ट की ओर से 345 लाख रुपए खर्च होंगे। इसके होल्डिंग एरिया में 10 केज बनवाए जा रहे हैं, ताकि लॉयन की आबादी बढ़ने पर उनके लिए यहां पर्याप्त स्थान उपलब्ध हो। भविष्य में जब यहां लॉयन की आबादी बढ़ सकेगी तो इन्हें एनिमल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत अन्य जन्तुआलय को भी दिया जा सकेगा।