10 साल की उम्र में खोया पिता को, मां ने निभाई जिम्मेदारी सेक्टर 9 सवीना निवासी आकांक्षा ने बताया कि जब वे 10 साल की थीं तब पिता श्रीलाल दुबे को खो दिया था। पिता बिजनेस करते थे। वहीं, मां गृहिणी थीं। वे चार भाई-बहनाें में सबसे छोटी है। पिता के बाद मां ने ही घर संभाला। मां और भाई-बहनों के मार्गदर्शन का ही नतीजा है कि वे इस मुकाम तक पहुंच पाई हैं। घर के हर सदस्य का इसमें योगदान है। एक लंबे संघर्ष के बाद ये सफलता मिली है। इसलिए ये पिताजी और परिवार को समर्पित है।
स्टेटिस्टिक्स में गोल्ड मेडलिस्ट, सेल्फ स्टडी की आकांक्षा ने बताया कि उनकी स्कूलिंग आदिनाथ पब्लिक स्कूल, से.11 से हुई। इसके बाद सुखाडि़या विवि से एमएससी मैथेमेटिक्स, स्टेटिस्टिक्स में किया। बाद में बीएड करने के बाद वे लेक्चरर लग गई हैं। वर्तमान में वे राउमावि साकरोदा कुराबड़ में मैथेमेटिक्स की लेक्चरर हैं। स्कूल में 7 घंटे गुजारने के बाद वे घर लौटकर तैयारी करती थीं। छुट्टी लेकर भी तैयारी की। वहीं, एग्जाम और इंटरव्यू के बीच एक साल का गेप रहा जिसका काफी फायदा मिला। उन्होंने रिटायर्ड आरएएस अधिकारियों से इंटरव्यू के लिए मार्गदर्शन लिया।
ऑनलाइन से ज्यादा किताबों पर करें भरोसा आकांक्षा ने बताया कि जब पहली बार परीक्षा दी थी तब बेहतर तैयारी नहीं थी। जिससे वह रैंक में पीछे रहीं। 2021 में पूरी तैयारी की। सात घंटे स्कूल में बिताने के बाद शेष बचा समय घर पर अपनी पढ़ाई को देती थी। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन की बजाय किताबों पर भरोसा करना चाहिए। मन में कभी निराशा नहीं लाएं और खुद को किसी से कम नहीं समझें।