पंडित जगदीश दिवाकर के अनुसार, रक्षाबंधन पर भद्राकाल और राहुकाल का विशेष ध्यान रखा जाता है। भद्राकाल और राहुकाल में राखी नहीं बांधी जाती है, क्योंकि इन काल में शुभ कार्य वर्जित है। इस बार राखी पर भद्रा नहीं है, भद्रा काल 23 अगस्त सुबह 05.34 से 06.12 तक होगा और 22 अगस्त को पूरे दिन राखी बंधेगी जा सकेगी। भद्रा के बारे में कहा जाता है कि रावण ने भद्रा मुहूर्त में ही बहन से राखी बंधवा ली थी। एक साल बाद ही उसके कुल समेत सबका विनाश हो गया। शास्त्रों के अनुसार भद्रा शनि देव की बहन है। जिन्हें ब्रह्मा जी से शाप मिला था कि जो भी इस मुहूर्त में शुभ कार्य करेगा, वह अशुभ माना जाएगा।
रक्षा बंधन तिथि – 22 अगस्त, रविवार
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 21 अगस्त, शाम 03.45 मिनट पूर्णिमा तिथि समापन – 22 अगस्त, शाम 05.58 मिनट
शुभ मुहूर्त – सुबह 05.50 मिनट से शाम 06.03 मिनट
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 21 अगस्त, शाम 03.45 मिनट पूर्णिमा तिथि समापन – 22 अगस्त, शाम 05.58 मिनट
शुभ मुहूर्त – सुबह 05.50 मिनट से शाम 06.03 मिनट
रक्षा बंधन की समयावधि – 12 घंटे 11 मिनट
रक्षा बंधन के लिए दोपहर में समय – 01.44 से 04.23 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12.04 से 12.58 मिनट तक
अमृत काल – सुबह 09.34 से 11.07 तक
रक्षा बंधन के लिए दोपहर में समय – 01.44 से 04.23 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12.04 से 12.58 मिनट तक
अमृत काल – सुबह 09.34 से 11.07 तक
ब्रह्म मुहूर्त – 04.33 से 05. 21 तक
भद्रा काल – 23 अगस्त, सुबह 05.34 से 06.12 तक
भद्रा काल – 23 अगस्त, सुबह 05.34 से 06.12 तक