उदयपुर प्रधान डाकघर के उपाधीक्षक संतोष कुमार शर्मा ने बताया कि उदयपुर मंडल में उदयपुर व राजसमंद जिले आते हैं, इसके लिए साढ़े तीन हजार लिफाफे आए हैं। ये सभी डाकघरों में उपलब्ध हैं। इनकी कीमत महज 10 रुपए है और ये बारिश में भी सुरक्षित तरीके से पहुंचेंगे। इसके लिए राखी वाले लिफाफे अलग बैग में भेजे जाएंगे।
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जनजाति बहनों की बनाई राखियां पहुंचेंगी सियाचिन व तवांग में तैनात सैनिकों तक जनजाति बहनों की बनाई राखियां इस बार भी देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों तक पहुंचाई जाएंगी। दरअसल, राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद से प्रेरित जनजाति महिलाओं की कला के उन्नयन व आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से स्थापित नम्रता प्राइमरी वीमन मल्टीपरपज को-ऑपरेटिव सोसायटी की ओर से इस साल भी एक राखी सैनिक के नाम अभियान के तहत 1350 राखियां बॉर्डर पर देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को भेजी जा रही है। कार्यक्रम में कर्नल महेश गांधी एवं कर्नल अभय लोढ़ा को ये राखियां समर्पित की गई। ये 1350 राखियां सियाचिन बॉर्डर तथा तवांग, अरुणाचल बॉर्डर के सैनिकों को भेजी जाएंगी। डॉ. राधिका ने बताया कि जनजाति बहनों द्वारा आकर्षक सजावटी सामग्री के निर्माण में किसी भी तरह के प्लास्टिक का उपयोग नहीं है।
जनजाति बहनों की बनाई राखियां पहुंचेंगी सियाचिन व तवांग में तैनात सैनिकों तक जनजाति बहनों की बनाई राखियां इस बार भी देश की सुरक्षा में तैनात सैनिकों तक पहुंचाई जाएंगी। दरअसल, राजस्थान वनवासी कल्याण परिषद से प्रेरित जनजाति महिलाओं की कला के उन्नयन व आर्थिक सशक्तिकरण के उद्देश्य से स्थापित नम्रता प्राइमरी वीमन मल्टीपरपज को-ऑपरेटिव सोसायटी की ओर से इस साल भी एक राखी सैनिक के नाम अभियान के तहत 1350 राखियां बॉर्डर पर देश की सुरक्षा में तैनात जवानों को भेजी जा रही है। कार्यक्रम में कर्नल महेश गांधी एवं कर्नल अभय लोढ़ा को ये राखियां समर्पित की गई। ये 1350 राखियां सियाचिन बॉर्डर तथा तवांग, अरुणाचल बॉर्डर के सैनिकों को भेजी जाएंगी। डॉ. राधिका ने बताया कि जनजाति बहनों द्वारा आकर्षक सजावटी सामग्री के निर्माण में किसी भी तरह के प्लास्टिक का उपयोग नहीं है।