दरअसल उदयपुर के मावली कस्बे में स्थित गाड़ियावास गांव का यह पूरा मामला है। गांव में रहने वाली झमकू देवी का शुक्रवार को निधन हो गया। वे अपने कस्बे की सबसे बुजुर्ग महिला थीं। उनके परिवार में तीन बेटे, पांच बेटियों और उनके बच्चों समेत करीब पचास से ज्यादा लोग हैं। उनके बेटे यमुना शंकर का कहना है कि मां पूरी तरह से स्वस्थ थीं। कोरोना जैसी गंभीर बीमारी तक भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकी। स्वस्थ जीवन शैली के पीछे उनकी दिनचर्या थी, जो पूरी तरह से अनुशासित थी।
करीब 106 साल तक की उम्र तक वे एक्टिव रहीं और अपने तमाम काम खुद करती थीं। इससे पहले खेत में जाना, खाना बनाना, बच्चों और परिवार की देखभाल करना यही उनका काम था। अंतिम समय तक भी उनकी श्रवण शक्ति पूरी थी और अच्छी तरह से वे देख और समझ सकती थीं। वे अपने सारे काम खुद करती थीं। कभी याद नहीं है कि वे ज्यादा दिन बीमार रही हों। बीमारी में भी जड़ी बूटियों की ही मदद लेती थीं और स्वस्थ रहती थीं। लेकिन अब परिवार में उनकी कमी हमेशा रहेगी।