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उदयपुर

राजस्थान की बेटी नीतू ने लहराया एवरेस्ट बेसकैंप पर तिरंगा, दुर्गम हालात में पहुंचीं पीक पर

Neetu Chopra Parwaz: राजस्थान की बेटी नीतू चोपड़ा अपने प्रोजेक्ट परवाज़- डर को डराओ, डेयरिंग बन जाओ के तहत पांच देशों की यात्रा पर निकली है। 16 जून को नीतू ने रक्सोल, बीरगंज बॉर्डर से नेपाल में प्रवेश किया था। वहां पहुंच उन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंच तिरंगा फहाराने का अपना सपना पूरा किया।

उदयपुरOct 01, 2023 / 11:03 am

Nupur Sharma

एवरेस्ट बेस कैंप पर तिरंगे के साथ नीतू चोपड़ा।

पत्रिका न्यूज नेटवर्क/उदयपुर। Neetu Chopra Parwaz: राजस्थान की बेटी नीतू चोपड़ा अपने प्रोजेक्ट परवाज़- डर को डराओ, डेयरिंग बन जाओ के तहत पांच देशों की यात्रा पर निकली है। 16 जून को नीतू ने रक्सोल, बीरगंज बॉर्डर से नेपाल में प्रवेश किया था। वहां पहुंच उन्होंने एवरेस्ट बेस कैंप पर पहुंच तिरंगा फहाराने का अपना सपना पूरा किया। ये नीतू का साहस ही है जिसने दुर्गम हालात में और अकेले ही इस मुश्किल यात्रा को अंजाम दिया। गौरतलब है कि अपने 5 देशों की यात्रा के तहत वे नेपाल, भूटान, म्यांमार, थाइलैंड व बांग्लादेश की यात्रा करेंगी और नया वर्ल्ड रेकॉर्ड बनाएंगी। नीतू मूलत: बालोतरा से हैं, लेकिन पिछले कुछ सालों से उदयपुर में रह रही हैं।

नीतू ने बताया कि 1 सितम्बर को एवरेस्ट बेस कैंप की यात्रा के लिए नेपाल जैन परिषद द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया था । उन्होंने लुकला की बजाय जीरी- सल्लेरी से अपना ट्रेक शुरू किया।

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वे 15 सितम्बर को एवरेस्ट बेस कैंप पहुंची और 5364मी. /17598 फीट पर तिरंगा लहराया। बेस कैंप सहित तीन हाई पासेस खोंगमाला, छोला पास और रेंजुला पास पर भी फ़तह की । नीतू ने बताया कि वैसे तो बिना गाइड के एवरेस्ट ट्रेक ग़ैर क़ानूनी तथा बेहद ख़तरनाक है परन्तु क्वालीफ़ाइड माउंटेनियर ट्रेनिंग देखते हुए उन्हें विशेष अनुमति पर्यटन विभाग द्वारा दी गई थी।

कभी लैंड स्लाइड में फंसी तो कभी ग्लेश्यिर में
नीतू ने बताया कि एवरेस्ट बेस कैंप के बाद वापसी के समय गोरक्षेप और लोबुचे के बीच ग्लेशियर में भारी लैंड स्लाइड में वे फंस गई। क़स्मित से नेटवर्क होने की वजह से समय रहते रेस्क्यू कर लिया गया। इसके बाद नागजुम्भा ग्लेशियर में फंस गई, जहां उन्हें दो दिन और एक रात बिना खाने- पानी के सर्वाइव करना पड़ा। लेकिन एक विदेशी दंपत्ती ने उनकी जान बचाई। इसके बाद 5000 मीटर से ऊपर पांच नगरशंख,गोक्योंरी, कलपत्थर, खंगारी री को भी पूरा कर 27 सितंबर को काठमांडू पहुंची । अब वे अपने अगले मिशन कंचनजंघा और मस्तंग ट्रेक पूरा कर भूटान के लिए रवाना होंगी।

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