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चुनावी सीजन : मतदान से पूर्व ऐसे होती है ईवीएम की जांच, रखरखाव

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उदयपुरOct 29, 2018 / 04:45 pm

Krishna

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धीरेंद्र जोशी/उदयपुर. चुनावी सीजन आने के साथ ही चहुंओर विभिन्न पार्टियों के प्रचार, आचार संहिता और मतदान को लेकर कई बातें होती हैं। विभिन्न माध्यमों में आमजन को चुनाव संबंधित कई जानकारियां मिल जाती है, लेकिन चुनाव करवाने में अहम भूमिका ईवीएम और इस बार वीवी-पैट की रहेगी। इन दोनों ही मशीनों के रखरखाव, सुरक्षा, जांच आदि की रोचक प्रक्रिया होती है।
ईवीएम और वीवी-पैट मशीनें वेयर हाउस में रखी जाती है। इनकी निगरानी के लिए 24 घंटे जवा तैनात रहते हैं। मशीनों का रखरखाव करने के लिए निर्वाचन आयोग से अधिकार प्राप्त विशेषज्ञ और स्थानीय सरकारी संस्थाओं के विशेषज्ञ लगते हैं। हर मशीन की सबसे पहले फस्र्ट लेवल चैकिंग होती है। बैलेट यूनिट के हर स्वीच को 6 बार दबाकर जांचा जाता है। प्रत्येक बैलेट यूनिट पर 16 स्वीच होते हैं। ऐसे में एक मशीन के 96 बार स्वीच दबाए जाते हैं। बाद में मशीनों को पुन: डबल लॉक कर दिया जाता है।

5 फीसदी की पुन: जांच
निर्वाचन आयोग के नियमानुसार फस्र्ट लेवल जांच करने के बाद राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधि पुन: जांच के लिए पांच प्रतिशत मशीनों का चयन करते हैं। इनमें से एक प्रतिशत मशीनों पर 1200 वॉटिंग की जाती है।
दो प्रतिशत पर 1000 और दो प्रतिशत मशीनों पर 500-500 बार वॉटिंग कर जांच की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग और सीसीटीवी की निगरानी रहती है।

निर्वाचन आयोग की रेंडम जांच
निर्वाचन आयोग की ओर मशीनों की रेंडम (क्रमरहित )जांच से होती है। पहली क्रमरहित जांच के बाद आयोग बताता है कि कौन सी मशीन किस विधानसभा क्षेत्र में जाएगी। कौन सी अतिरिक्त रहेगी। चुनाव के लिए जितनी मशीनों का उपयोग होता है, उससे कम से कम 10 फीसदी मशीनें हर विधानसभा क्षेत्र में अतिरिक्त रखी जाती है।

द्वितीय रेंडम जांच के बाद बूथ का चयन
प्रत्याशियों के नामांकन और चुनाव चिह्न आवंटित होने के बाद निर्वाचन आयोग की ओर से मशीनों की द्वितीय रेंडम जांच की जाती है।
इसके बाद कौन सी मशीन किस बूथ पर जाएगी और किस आरओ के अंडर में कौन सी मशीन अतिरिक्त रहेगी, यह बताया जाता है। इसके बाद मशीनें दो स्ट्राँग रूम पहुंचेंगी।

कड़े पहरे में रहती मशीनें
मशीनें कड़े पहरे में रहती है, लेकिन चुनाव से पूर्व इनकी सुरक्षा और बढ़ा दी जाती है। जांचों के बाद मशीनों के कमरों को लॉक कर सील लगाई जाती है। रूम के बाहर 24 घंटे कड़ा पहरा रखा जाता है।मशीनों के हर बार जांच के दौरान राजनीतिक प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाता है। ये प्रतिनिधि नियमानुसार किसी भी मशीन की जांच करवा सकते हैं। साथ ही डबल लॉक के समय अपना लॉक भी लगाने सकते हैं। मशीनों के रूम पर चस्पा होने वाली चीट में प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर होते हैं।

स्ट्राँग रूम में लगेंगे बैलेट
चुनाव से पूर्व दोनों स्ट्राँग रूम में चार-चार विधानसभाओं की मशीनें रहेंगी। बूथ के अनुसार बैलेट तैयार कर बैलेट यूनिट पर लगाए जाएंगे। इसके साथ ही जरूरी सभी कार्य भी पूरे किए जाएंगे। इसके बाद हर मशीन पर प्रत्येक प्रत्याशी को एक-एक मत डालकर जांच की जाएगी। इसके बाद मशीनों का डाटा क्लीयर करने के बाद पुन: डबल लॉक में रखा जाएगा। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि पांच प्रतिशत मशीनों की रेंडम जांच करेंगे। चुनाव से दो दिन पूर्व पीठासीन अधिकारी को मशीनें सौंपी जाएंगी।

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