चुनावी साल में जनप्रतिनिधि चर्चा में बने रहने के लिए हर मुमकिन कोशिश में लगे हुए हैं। ताजा मामला राज्य सरकार के महंगाई राहत शिविर और कांग्रेस विधायक प्रीति शक्तावत के रौद्र रूप से जुड़ा है। हुआ यूं कि रणधीर सिंह भींडर की जनता सेना के बोर्ड वाली भींडर पालिका में महंगाई राहत शिविर लगा था, लेकिन इससे अधिकारी नदारद थे। साथ ही मौके पर लगे स्वागत के बैनर से सीएम और विधायक की तस्वीर गायब थी। इसकी जानकारी जैसे ही वल्लभनगर विधायक प्रीति शक्तावत को मिली, उन्होंने इसे मुद्दा बना दिया। गुस्से में विधायक ने अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई और उन्हें सस्पेंड कराने से लेकर थप्पड़ मारने की बात तक कह डाली। थोड़ी देर में ही मामला पूरी तरह से कांग्रेस बनाम जनता सेना हो गया और पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर ने बयान जारी कर इसे विधायक के आचरण के खिलाफ बता दिया।
प्रदेश सरकार के महंगाई राहत शिविरों में संगठन से अधिक कांग्रेस के वे नेता अधिक सक्रिय दिखे, जो कहीं न कहीं से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। वे लाभार्थियों को साथ लेकर शिविरों में पहुंचे। इन सब के बीच भाजपा ने भी मोर्चा खोल लिया है। उदयपुर में शिविर के पहले दिन भाजपा संगठन में बैठकों का दौर चलता रहा। पार्टी इन शिविरों को चुनावी शिगूफा बता रही है। पार्टी ने प्रदेश सरकार की नीतियों के खिलाफ 28 अप्रेल को महाघेराव की तैयारी की है। महाघेराव में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी भाग लेंगे।
उधर, राजसमंद जिले की देवगढ़ नगरपालिका में ईओ कृष्णगोपाल माली और चेयरमैन शोभालाल रेगर के बीच अर्से से चल रही अदावत में नया मोड़ आ गया है। राज्य सरकार ने भाजपा पालिकाध्यक्ष को पद के दुरुपयोग के आरोप में निलंबित कर दिया है। भाजपा इसे लेकर हमलावर हो गई। चेयरमैन को तीन दिन बाद निलंबन-पत्र थमाया गया। इसके खिलाफ राजसमंद और कुम्भलगढ़ विधायक के नेतृत्व में भाजपा ने रैली निकाली व धरना-प्रदर्शन कर निलंबन को लोकतंत्र की हत्या बताया।
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