राजस्थान पत्रिका टीम ने पेराफेरी की इन पंचायतों के लोगों से बातचीत की तो पता चला कि जो पंचायतें पूरी तरह से शहर में आ चुकी है निश्चित रूप से इन पंचायतों को निगम क्षेेत्र में शामिल किया जाना चाहिए और उनमें विकास के साथ ही परिवहन सेवा उपलब्ध करवाई जानी चाहिए।
नाममात्र की सिटी बसें
अभी शहर व उसकी आसपास की पेराफेरी में परिवहन के नाम पर सिर्फ 24 सिटी बसें चल रही है। ये बसें भी आधी पंचायतों में ही जा रही है। इन पंचायतों के लोगों को इन बसों की सेवा लेने के लिए भी घंटों इंतजार करना पड़ता है, जबकि पंचायतों के मध्यम परिवार के लोगों को गांव से शहर के सार्वजनिक व निजी अस्पताल के लिए आना पड़ता है। सिटी बसों में वे लोग महज 10 से 30 रुपए में सफर कर लेते हैं, लेकिन भाड़े के वाहनों में उन्हें 300 से 500 रुपए चुकाने पड़ते हैं।