गुरुवार सुबह राठौडों का गुढ़ा स्कूल के समीप खेत में पगमार्क मिले। फील्ड ऑपरेशन में लगी टीम ने पगमार्क के साक्ष्य जुटाए हैं। हालांकि यह एक दिन पुराने बताए गए हैं। इन गावों के नजदीक जंगल में और भी पैंथर हैं। यह भी आशंका जताई जा रही है कि आदमखोर पैंथर पिछले हमलों के दौरान घायल होकर मर गया हो या घने जंगल में ऊंचे पहाड़ों पर नाले में छिपा हो। इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए वन विभाग के अधिकारियों ने घने जंगल में सर्च ऑपरेशन के लिए एक टीम बनाई है। जिसमें एक-एक रेंजर, शूटर, ट्रेंक्यूलाइजर, दो गार्ड व एक स्थानीय व्यक्ति को शामिल किया है। गुरुवार को इस टीम ने दो जगह पहुंचकर पैंथर को तलाशा, लेकिन सफलता नहीं मिली।
फोटो ट्रैप कैमरों की संख्या 52 हुई, अभी और बढ़ेंगे
गुरुवार सवेरे वन विभाग व पुलिस की संयुक्त टीम को राठौडों का गुढ़ा स्कूल के नजदीक खेत के पास पैंथर के पग मार्क मिले। जो जंगल से नाले और एक खेत के समीप बढ़ते दिखाई दिए। बुधवार और गुरुवार को मिले पग मार्क की लोकेशन अलग अलग है। वहीं गुरुवार को वन विभाग ने फील्ड में फोटो ट्रैप कैमरे की संख्या में बढ़ोतरी की है। अब जगह जगह 52 कैमरे लगे हैं। वहीं पैंथर की लाइव लोकेशन ट्रेस करने के लिए संभावित स्थान पर चार सीसी टीवी कैमरे लगाए हैं, जो सोलर पैनल के जरिए ऑपरेट हो रहे हैं। जयपुर से आई दूसरी इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम के बुधवार को लौटने के बाद अब ऑपरेशन को संभागीय मुख्य वन संरक्षक एस. आर. वी. मूर्थि और सुनील छिद्रि संभाल रहे हैं।ग्रामीणों की सावधानी खींच लाएगी पैंथर को बाहर
राठौडों का गुढ़ा और केलवों का खेड़ा में दो जनों की मौत के बाद जहां फील्ड में तैनात टीमों ने ग्रामीणों की आवाजाही पर रोक लगाई है तो पुलिस ने भी ग्रामीणों को सवेरे शाम घरों से बाहर नहीं निकलने व जंगल की ओर नहीं जाने को कहा है। कई दिनों से ग्रामीण पैंथर के संभावित स्थान के आसपास जंगल में पशुओं को लेकर नहीं गए हैं। इससे भी पैंथर को हमला करने का मौका नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर जंगल में टीमें भी तैनात हैं। जिसकी आहट भी वह भांप रहा हो सकता है। अब कोर एरिया में आवाजाही कम करने पर उसका दो दिनों से मूवमेंट दिखाई दिया है। इसीलिए अब बैस कैम्प को राठौडा़ें का गुढ़ा सरकारी स्कूल से नाइयों का गुढ़ा िस्थत वन विभाग की नर्सरी में स्थानांतरित कर दिया है। स्कूल में अब सिर्फ एक कम विभाग ने रिजर्व रखा है।इनका कहना
पैंथर की लोकेशन को ट्रेस करने के लिए हर तरह के प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीणों से मिल रही सभी तरह की सूचनाओं पर कार्य हो रहा है। कुछ इतर आशंकाओं की सत्यता जांचने के लिए एक सर्च टीम बनाई है। जो घने जंगल व दुर्गम स्थानों पर पहुंच रही है। कोर एरिया में मानवीय गतिविधियां कम करने के लिए बैस कैम्प की जगह बदली है। – एस. आर. वी. मूर्थि, मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) उदयपुर