ऑपरेशन को संभाल रहे मुख्य वन संरक्षक स्तर के अधिकारी जरूरी दिशा निर्देश देकर फील्ड में रवानगी करते हैं। राज्य स्तरीय अधिकारी जयपुर से ऑपरेशन की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। बेस कैंप राठौड़ों का गुढ़ा से गोगुंदा शिफ्ट करने के बाद वहां एक रिजर्व टीम तैनात है। सवेरे एक टीम जंगल में लगाए पिंजरों को चेक करती है। एक टीम में छह वन विभाग सहित पुलिस के कार्मिक हैं। पैंथर की लाइव लोकेशन ट्रेस करने के लिए लगाए चार सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी एक टीम देख रही है। टीमों का ड्यूटी चार्ट बनाने का जिम्मा गोगुंदा रेंज ऑफिस में एक रेंजर के पास है। बता दें कि 19 सितंबर से दो दिन में तीन जनों को पैंथर द्वारा हमला कर मार देने के बाद वन विभाग और प्रशासन सकते में आ गया। जिसके बाद पैंथर को पकड़ने के लिए फील्ड ऑपरेशन चलाया गया। जिसमें आर्मी, वन विभाग, पुलिस की संयुक्त टीम ने कार्य शुरू किया। इस बीच दस दिन के अंतराल में पैंथर ने 4 और जनों पर हमला कर मार डाला। जिसके बाद पैंथर को मारने के आदेश जारी हुए। वहीं ऑपरेशन का दायरा बढ़ाया।
ऑपरेशन को संभाल रहे पांच ग्रुप
मॉनिटरिंग, लॉजिस्टिक, कॉर्डिनेशन, लोकल लाइजनिंग व डॉक्यूमेंटेशन का काम अलग-अलग पांच ग्रुप संभाल रहे हैं। इनकी जिम्मेदारी का क्षेत्रीय वन अधिकारी स्तर के अफसर संभाल रहे हैं। प्रदेशभर से बुलाए शूटर भी फील्ड टीमों में शामिल हैं। जयपुर से आई दो इमरजेंसी रेस्पॉन्स टीम के वापस लौट जाने के बाद ऑपरेशन को संभागीय मुख्य वन संरक्षक एसआरवी मूर्ति और सुनील छिद्री लीड कर रहे हैं। वहीं प्रशासन की ओर से उपखंड अधिकारी डॉ. नरेश सोनी कमान संभाले हुए हैं।
जंगल में पहुंचाए जा रहे फूड पैकेट
22 दिन के ऑपरेशन में पहले दो तीन दिन फील्ड में तैनात कार्मिकों के लिए भोजन होटल से आता था, इसके बाद जैसे जैसे टीमों की संख्या बढ़ी तो वन विभाग के कार्यालय की छत को अस्थायी रसोई घर बनाया है। जहां रोजाना सवेरे-शाम 250 कार्मिकों का भोजन तैयार कर पैक कर फील्ड में भेजा जाता है। जबकि बेस कैम्प में तैनात अधिकारी व कार्मिक वहीं खाना खा रहे हैं। खाना बनाने में दो रसोइए और हेल्पर काम कर रहे हैं। शाम का भोजन थोड़ा जल्दी 4 बजे बनाकर फील्ड में भेज दिया जाता है। पिंजरे में बैठने वाले शूटर और पेड़ पर मचान बांध कर बैठने वाले कार्मिक अंधेरा होने के पहले अपने लोकेशन ले लेते हैं।
सायरा रेंज में तीन जगह पिंजरे लगाए
उधर, सायरा रेंज के कमोल गांव में शुक्रवार को एक जने पर पैंथर के हमले के बाद ग्रामीणों द्वारा उसे घेर कर मारने की घटना के बाद वन विभाग ने गांव के आसपास अन्य पैंथर की मूवमेंट देखते हुए पिंजरे लगाए हैं। सायरा रेंजर सुनील चौधरी ने बताया कि कमोल, ढोल, पदराड़ा गांव में पैंथर की मूवमेंट देखते हुए पिंजरे लगाए गए हैं, लेकिन दो दिन से कोई मूवमेंट दिखाई नहीं दिया है।
12 दिन बाद स्कूल चलने के आसार
वहीं एक अक्टूबर को केलवों का खेड़ा में कमला कुंवर की पैंथर के हमला में मौत के बाद समीप के राठोड़ों का गुढ़ा के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय को कैंप में तब्दील कर दिया था। अब दो दिन से स्कूल से कैंप गोगुंदा नर्सरी में शिफ्ट कर दिया है। वहीं पास ही का सुआवतों का गुढ़ा स्कूल भी तभी से बंद है। दोनों स्कूल सोमवार को स्कूल चलने के आसार हैं। इनमें दूर दराज के बच्चे भी पढ़ते हैं, जो जंगल के रास्ते आते हैं।
मजाम में पैंथर की सूचना, मिला जरख
गोगुंदा सायरा में इन दिनों पेंथर को लेकर ग्रामीण भयभीत हैं तो अन्य जानवर को भी पैंथर समझकर डर रहे हैं। ऐसा ही वाकया रविवार शाम देखने को मिला। मजाम गांव जहां पैंथर ने पांचवां शिकार किया था, वहां ग्रामीणों ने शाम को पैंथर होने की सूचना वन विभाग को दी। मौके पर पहुंची टीम ने ग्रामीणों के बताए जंगल में घेरा डाला और एक जाल बिछाया जिसमें एक जरख कैद हो गया। जिसे रेस्क्यू कर छोड़ा गया।