जानकारों के अनुसार इन छह माह में प्रतिदिन औसत 100 टन से अधिक आम उदयपुर संभाग में बेचा जाता है। ऐसे में पूरे सीजन में संभाग के लोग 18000 टन आम खा जाते हैं। मेवाड़ में सर्वाधिक बिक्री बादाम, तोतापुरी और हापुस आम की होती है। हमारे यहां आम की आवक कर्नाटक, महाराष्ट्र, केरल, आन्द्रप्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश से होती है।
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आयोजनों में आम की लजीज डिशेज की डिमांड
मेवाड़ में आम से बनी डिशेज की डिमांड बढ़ी है। विभिन्न आयोजनों में मेंगो ज्यूस, मेंगो आइसक्रीम, मेंगो श्रीखंड, मेंगो केसर लस्सी, मेंगो अफसाना, मेंगो शेक को पसंद किया जा रहा है।
देसी आम के शौकीन भी कम नहीं
मेवाड़ के लोग देसी आम भी पसंद करते हैं। इनमें कुम्भलगढ़ और आसपास के गांवों से विभिन्न किस्म के आम आते हैं। इसी प्रकार बांसवाड़ा जिले से लंगडा, आम्रपाली, दशहरी किस्म के आम की आवक होती है।
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उदयपुर में कहां से आता है कौन सा आम
हापुस – फरवरी से जून तक महाराष्ट्र, कर्नाटक से
केसर – मार्च से जून तक गुजरात से केसर आम की आवक
तोतापुरी – फरवरी से जुलाई तक कर्नाटक, तमिलनाडु से
सिंदूरी – फरवरी से मई तक कर्नाटक से आते हैं आम
नीलम- फरवरी से मई तक कर्नाटक, आन्द्रप्रदेश से
बादाम – फरवरी से मई तक कर्नाटक, केरल और आन्द्रप्रदेश से
लंगडा, दशहरी और चोसा – जून से अगस्त तक उत्तरप्रदेश से
सुनील कुमार करिरा, फल व्यवसायी
छह माह के सीजन में अप्रेल से जून तक प्रतिदिन संभाग में 100 से 150 टन आम की खपत होती है। सीजन में त्योहार और शादियां होने पर यह मांग और बढ़ जाती है। लोगों में कुछ भ्रांतियां भी है कि आम केमिकल से पकाए जाते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। आम को पकाने के लिए एथिलीन गैस सुरक्षित व दुनियाभर में स्वीकृत है। कैन से स्प्रे करने से 24 से 48 घंटे में फल पक जाता है। यह एक डी-ग्रीनिंग एजेंट है। जो छिलके को हरे से पीले रंग में बदलने के साथ मिठास व सुगंध को भी बरकरार रखता है।