उदयपुर. कोटड़ा क्षेत्र किसी पहचान का मोहताज नहीं रहा। प्राकृतिक संपदा और आदिवासी संस्कृति से भरपूर कोटड़ा रुरल टूरिज्म का बड़ा केंद्र बना है। भले ही कोटड़ा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाने लगा है, लेकिन एक कड़वा सच यह है कि जिला मुख्यालय से आज भी कोटड़ा के लिए परिवहन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कोटड़ाटीएडी मंत्री बाबूलाल खराड़ी का गृह क्षेत्र भी है, लेकिन वहां तक रोडवेज बसों का पर्याप्त संचालन कराने में वे भी विफल रहे। मंत्री पद पर आसीन होते ही खराड़ी ने रोडवेज बसों की संख्या बढ़ाने का दावा किया था, लेकिन ताज्जुब की बात है कि बसें और कम हो गई। इस बारे में पुन: मंत्रीजी से सवाल किया तो लाचारी झलक पड़ी। बोले-’अफसर नहीं सुन रहे।’
पत्रिका की टीम ने 10 माह पहले कोटड़ा का दौरा कर मंत्री को परिवहन साधन नाकाफी होने की जानकारी दी थी। मंत्री ने जल्द संख्या बढ़ाने का भरोसा दिया था। गुरुवार को टीम ने फिर दौरा किया तो देखा की बढ़ने की जगह बसों की संख्या कम हो गई है। रूट पर महज दो बसें ही मिली। वापसी में एक बस थी वह भी घूमकर ही लौटने वाली थी।
मंत्री बोले- रोडवेज के पास बसें, चला नही रहे
दीपावली से पहले कोटड़ा की बसें कम कर दी। उदयपुर रोडवेज के पास बसें हैं, लेकिन कोटड़ा रूट पर नहीं चला रहे हैं। किलोमीटर संचालन का कोई नियम है तो बस को आगे के रूट पर चलाकर रास्ता निकाला जा सकता है। कहने के बावजूद स्थानीय रोडवेज प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा। उदयपुर डिपो मैनेजर की बेइमानी साफ झलक रही है। शुक्रवार को इस विषय पर विस्तार से बात करुंगा। वहीं 25 नवम्बर को जयपुर में सीएम को स्थिति से अवगत कराउंगा। -बाबूलाल खराड़ी, मंत्री, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग Share font-inc ImageView Text मंत्रीजी की भी नहीं सुन रहे अफसर तो जनता की क्या सुनेंगे: भरपूर यात्री भार के बावजूद नहीं बढ़ा रहे रोडवेज बसें
मंत्रीजी…! आपने तो कहा था कोटड़ा रूट पर बढ़ाएंगे रोडवेज बसें हकीकत- पहले से कम हो गई बसें, जो चल रही है, वो भी खटारा फॉलोअप 22/11/2024
लाइव: उदयपुर से कोटड़ा तक का सफर
सुबह 7.30 बजे उदियापोल बस स्टैंड से कोटड़ा के लिए बस रवाना हुई। स्टार्ट करने के लिए कर्मचारियों ने धक्का लगाया। शुरुआत में कुछ सीटें खाली थी। बस शिक्षा भवन चौराहा पहुंची, जहां पहले ही निजी बस खड़ी थी। रोडवेज के पहुंचते ही निजी बस रवाना हो गई। इसके बावजूद रोडवेज की सभी सीटों पर यात्री बैठ चुके थे। हर एक दो किमी पर बस रुकती और सवारियां चढ़ती रही। सीसारमा तक बस के केबिन में भी जगह नहीं बची। बस झाड़ोल जाकर खाली हुई। यहां से सवारी चढ़ी जो फलासिया में खाली हुई। पानरवा में बस लगभग खाली हो गई, लेकिन यहां से भी रोडवेज में बैठने वालों की संख्या कम नहीं थी। पांच घंटे के सफर के बाद दोपहर 12.30 बजे कोटड़ा पहुंचे। वहां पता चला कि दोपहर में लौटने के लिए एक भी बस नहीं है। ऐसे में निजी जीप चालक को 150 रुपए देकर उदयपुर लौटना पड़ा। रोडवेज का किराया 115 रुपए है। बता दें कि जिस बस में सफर किया उसकी एक दो खिड़कियों के कांच भी नहीं थे। बस का फ्रंट कांच एक कोने से तड़का हुआ था।मंत्री बोले- रोडवेज के पास बसें, चला नही रहे
दीपावली से पहले कोटड़ा की बसें कम कर दी। उदयपुर रोडवेज के पास बसें हैं, लेकिन कोटड़ा रूट पर नहीं चला रहे हैं। किलोमीटर संचालन का कोई नियम है तो बस को आगे के रूट पर चलाकर रास्ता निकाला जा सकता है। कहने के बावजूद स्थानीय रोडवेज प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा। उदयपुर डिपो मैनेजर की बेइमानी साफ झलक रही है। शुक्रवार को इस विषय पर विस्तार से बात करुंगा। वहीं 25 नवम्बर को जयपुर में सीएम को स्थिति से अवगत कराउंगा। -बाबूलाल खराड़ी, मंत्री, जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग