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मिलिए, उदयपुर की कलाकार ललिता से, परंपरागत पिछवई को दिया मिनिएचर पिछवई का नया रूप

Miniature Artist शादी के बाद सीखा मिनिएचर आर्ट, 15 सालों से इस कला की परंपरा को कायम रख खुद की क्रिएटिविटी से दे रहीं एक नया आर्ट

उदयपुरOct 30, 2022 / 10:31 pm

madhulika singh

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मधुलिका सिंह/उदयपुर. शादी के बाद बच्चे और परिवार को संभालते हुए कई महिलाएं अपने टेलेंट और क्रिएटिविटी को भुला देती है या उन पर जिम्मेदारियों का दबाव उन्हें ये सब भुला देता है, लेकिन उदयपुर की एक साधारण गृहिणी ललिता सोनी शादी के बाद ही एक बेहतरीन मिनिएचर आर्टिस्ट के रूप में ढली और आज उनकी सालों की कला साधना देश-विदेश में सराही जा रही है। इतना ही नहीं उन्होंने परंपरागत पिछवई कला को मिनिएचर पिछवई का नया रूप दे दिया है। ऐसा करने वाली वे उदयपुर की पहली महिला कलाकार हैं।
ललिता सोनी ने बताया कि कॉलेज के दौरान टेक्सटाइल डिजाइनिंग में डिप्लोमा किया, तब एक विषय मिनिएचर आर्ट भी था। इस आर्ट से लगाव उसी समय हो गया था। फिर शादी भी ऐसे घर में हुई जहां मिनिएचर आर्ट का ही बिजनेस था। तब नौकरी के लिए घर के लोग राजी नहीं हुए तो उन्होंने शादी के बाद ये आर्ट सीखना शुरू किया और आज 15 साल हो गए। इसका प्रशिक्षण उन्होंने आर्टिस्ट ओमप्रकाश बिजौलिया से लिया। तब बहुत कम महिलाएं भी इस क्षेत्र में थीं। उन्होंने बताया कि एक पेंटिंग बनाने में ही 20 से 25 दिन लग जाते हैं क्योंकि इसमें बहुत बारीक काम होता है। पहले तक वे भी आर्ट बनाकर सिर्फ कलेक्शन करती थी, लेकिन अब उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये अपनी कला का प्रचार-प्रसार भी शुरू कर दिया है, जिससे अब देश-विदेश से ऑर्डर भी मिलने लगे हैं।
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पेंटिंग के लिए घर पर ही घंटों मेहनत से बनाती हैं प्राकृतिक रंग

ललिता सोनी ने बताया कि वे पेंटिंग के लिए प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करती हैं। इसके लिए वे खुद ही घर पर विभिन्न तरह के रंग बनाती हैं। इसके लिए चीजें लाना और कूटना फिर बाकी की सब पुराने तरीके से ही होती है। उन्होंने पिछवई और मिनिएचर को मिक्स कर खुद की ही शैली विकसित कर ली है और वे इसे मिनिएचर पिछवई कहती हैं। दरअसल, पिछवई कला कपड़े पर की जाती है और उन्होंने इसे पेपर पर करना शुरू किया है, ताकि बारीकी दिखाई दे। कपड़े पर बनने वाली पेंटिंग में थोड़ी मोटाई आती है, जबकि कागज पर बहुत बारीक काम भी किया जा सकता है। मिनिएचर पिछवई शैली बनाते हुए उन्हें चार से पांच साल हो गए। वे अब इस आर्ट को कॉलेजों में वर्कशॉप लेकर सिखाती भी हैं।
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