तालाबाेें पर देश, लद्दाख, हिमाचल, मंगोलिया, चीन आदि स्थानों से ये विदेशी पंछी यहां आते हैं। मौसम परिवर्तन की स्थिति में वे स्वाभाविक रूप से स्थानांतरण करते हैं। यूरोपीय देशों में सर्दी के मौसम में बर्फ गिरती है। इसी से बचने के लिए परिंदे स्थानांतरण करते हैं। 4 माह तक यहां मौसम ठंडा रहता है इसलिए वे यहां सुरक्षित रहते हैं। इनके दाना-पानी का प्रबंध जलजन्य स्थानों पर आसानी से हो जाता है। अभी ग्रेटर फ्लेमिंगो , कॉमन क्रेन , रोजी पेलिकन , डालमेशियन पेलिकन सहित अन्य प्रजातियोंं के सेंकडोंं पक्षी मौजूद है। संभवतया 2016 के बाद इस वर्ष तालाब में अठखेलियांं मार्च में भी देखी जा रही हैंं।
सालों बाद मार्च में भी गुलजार जलाशय सर्दी के दिनों में अक्टूबर नवम्बर माह के शुरुआत में प्रवास पर आने वाले मेहमान परिंदे फरवरी मार्च महीने तक यहींं रुकते हैंं । मेनार आईबीए लेक काम्प्लेक्स का धण्ड तालाब के केचमेंट क्षेत्र का अमूमन भाग मार्च तक सूूख जाता है लेकिन इस साल अक्टूबर के पहले सप्ताह तक बारिश के चलते इस तालाब की रपट रेकॉर्ड 43 दिन तक चली थी जिसके कारण मार्च महीने में भी ये तालाब लबालब है। अपेक्षाकृत पानी अन्य वर्षो के मुकाबले कम उतरा है। इसी कारण प्रवासी परिंदोंं की मौजूदगी बरकरार है।