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उदयपुर

गवरी नाट्य की धूम परवान पर – कई जगह नवमी पर समापन तो कई जगह बाद में

गवरी नाट्य की धूम परवान पर
– कई जगह नवमी पर समापन तो कई जगह बाद में

उदयपुरSep 22, 2019 / 10:24 pm

प्रमोद कुमार सोनी

गवरी नाट्य की धूम परवान पर  - कई जगह नवमी पर समापन तो कई जगह बाद में

गवरी नाट्य की धूम परवान पर – कई जगह नवमी पर समापन तो कई जगह बाद में

प्रमोद सोनी / उदयपुर . आदिवासी बहुल मेवाड़ क्षेत्र में भील जाति की अगाध श्रद्धा एवं उपासना का प्रतीक पारम्परिक गवरी नाट्य की धूम इन दिनों समापन की ओर है। ठंडी राखी से शुरू हुई बेदला एवं सविना की गवरी का रविवार को अष्टमी पर्व पर गडावण हुआ और सोमवार को वलावण होगा। जहां ठंडी राखी के एक-दो दिन बाद गवरी शुरू हुई, उनका गडावण-वलावण बाद में होगा।
शहर के आसपास कई जगह रविवार को गवरी नृत्य हुए। इस दौरान कलाकार गांव के कुम्भकार के घर से हाथी विराजित गौरज्या माता की प्रतिमा लेने के लिए पहुंचे। रविवार को बेदला रावला के बाहर गांव की गवरी का मंचन हुआ। इस दौरान गांव के लोगों ने कलाकारों का माला पहनाकर स्वागत किया। बाद में गणपति, भंवरया, गोमा, मीणा, कालू कीर, कान गुर्जरी, भियावड, देवी अंबा, बादशाह की फ ौज, बणजारा, शिव-पार्वती आदि खेल हुए। गवरी कलाकार एवं गांव के लोग अपराह्न में जुलुस के रूप में नाचते गाते कुम्भकार के घर पर गए। हाथी पर विराजित देवी गौरज्या को लेकर जुलूस के रूप में गांव के चारभुजा मंदिर पर पहुंचे जहां रात्रि जागरण किया गया। पूरी रात गवरी का मंचन हुआ। गवरी के मुखिया वजेराम गमेती ने बताया कि सोमवार को वलावण से पूर्व गांव में गवरी का मंचन होगा। इस दौरान गवरी नाट्य में कलाकार हाथी बनकर नृत्य करेंगे। इस दौरान बहन- बेटियां व रिश्तेदार गवरी कलाकारों की पैरावणी करेंगी। बाद में वलावण की रस्म होगी, जिसमें गौरज्या देवी की प्रतिमा का नदी में विसर्जन किया जाएगा।

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