शहर के आसपास कई जगह रविवार को गवरी नृत्य हुए। इस दौरान कलाकार गांव के कुम्भकार के घर से हाथी विराजित गौरज्या माता की प्रतिमा लेने के लिए पहुंचे। रविवार को बेदला रावला के बाहर गांव की गवरी का मंचन हुआ। इस दौरान गांव के लोगों ने कलाकारों का माला पहनाकर स्वागत किया। बाद में गणपति, भंवरया, गोमा, मीणा, कालू कीर, कान गुर्जरी, भियावड, देवी अंबा, बादशाह की फ ौज, बणजारा, शिव-पार्वती आदि खेल हुए। गवरी कलाकार एवं गांव के लोग अपराह्न में जुलुस के रूप में नाचते गाते कुम्भकार के घर पर गए। हाथी पर विराजित देवी गौरज्या को लेकर जुलूस के रूप में गांव के चारभुजा मंदिर पर पहुंचे जहां रात्रि जागरण किया गया। पूरी रात गवरी का मंचन हुआ। गवरी के मुखिया वजेराम गमेती ने बताया कि सोमवार को वलावण से पूर्व गांव में गवरी का मंचन होगा। इस दौरान गवरी नाट्य में कलाकार हाथी बनकर नृत्य करेंगे। इस दौरान बहन- बेटियां व रिश्तेदार गवरी कलाकारों की पैरावणी करेंगी। बाद में वलावण की रस्म होगी, जिसमें गौरज्या देवी की प्रतिमा का नदी में विसर्जन किया जाएगा।