इन्होंने चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. विनय जोशी एवं उप अधीक्षक डॉ. रमेश जोशी से लंबी चर्चा की। उन्होंने अधिकारियों से बातचीत कर चिकित्सालय में पार्किंग व्यवस्था, ठेकेदारों द्वारा मरीज एवं तिमारदारों से मनमानी वसूली, वार्डवार पेयजल सुविधाएं, मरीजों के लिए स्ट्रेचर व व्हील चेयर की उपलब्धता, नियमित सफाई कर्मचारी, संविदा कर्मचारी, सफाई ठेके के नियम व शर्तें, ट्रोमा एवं आर्थोपेडिक वार्ड के शौचालयों में इटेलियन चैंबर, लिफ्ट सहित अन्य सुविधाओं एवं समस्याओं के बारे में जानकारी जुटाई। वे सभी प्रकार की निविदाओं को लेकर लागू नियम व शर्तों से जुड़े दस्तावेज साथ ले गए। कोर्ट कमिश्नर अपने स्तर पर इन सभी मामलों पर अध्ययन कर आगामी पेशी तक रिपोर्ट अदालत में पेश करेंगे।
चिकित्सालय अधीक्षक डॉ. विनय जोशी ने कोर्ट कमिश्नर को बताया कि पदभार संभालने के बाद से उन्होंने मरीजों को बेहतर सेवाएं देने का हरसंभव प्रयास किया है। पार्कि ंग में अवैध वसूली पर उनका कहना था कि ठेका शर्तों के तहत विजिट वाले वाहन चालकों से दो घंटे का निर्धारित शुल्क ही वसूला जा रहा है।
उन्होंने बताया कि नई शर्तों में स्पष्ट किया गया है कि दो घंटे की अवधि में विजिटर अपने वाहन किसी भी पार्कि ंग में ले जाकर खड़ा कर सकते है, जिसका उससे कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं वसूला जाएगा। उन्होंने बताया कि सुपर स्पेशलिटी विंग एवं मल्टी बिल्डिंग के निर्माण के बाद पार्कि ंग की आधी समस्या निपट जाएगी।
ये दिए सुझाव
कोर्ट कमिश्नर जोशी ने सुझाव दिया कि निजी अस्पतालों की तर्ज पर संविदा कार्मिक से लेकर प्रोफेसर (चिकित्सक शिक्षक) तक का ड्रेस कोड लागू किया जाए। साथ ही संविदा एवं स्थायी कर्मचारी की नेम प्लेट लगी हो जिस पर कर्मचारी का नाम एवं पद लिखा जाए ताकि मरीज एवं उसके परिजन संबंधित व्यक्ति की सेवाएं ले सके। इसी तरह स्थायी कार्मिकों, नर्सिंग स्टाफ, रेजिडेंट एवं विशेषज्ञ के गले में उसकी पहचान से जुड़े परिचय पत्र पर भी जोर दिया। इस अवसर पर वार्ड वार स्ट्रेचर एवं व्हील चेयर की सुविधाएं सुनिश्चित करने का सुझाव भी दिया गया।