श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तक चार माह तक प्रति सोमवार को व्रतधारियों द्वारा उत्साह से व्रत के साथ पूजा-अर्चना भजन कीर्तन किया जाएगा। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को व्रत का उद्यापन किया जाएगा। मान्यता है कि व्रत के करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। व्रत पूर्ण होने पर आटे गुड़ के लड्डू का प्रसाद तैयार कर उसके चार भाग किए जाते हैं। जिसमें एक भाग भगवान को भोग लगाया जाता है। एक भाग ब्राह्मण एक गाय को खिलाया जाता है। चौथे भाग का व्रतधारी अपने घर के सदस्यों में प्रसाद वितरित करता है।