फिर कहां जाएं हिंदी मीडियम के छात्र विद्यालय में लगभग 450 विद्यार्थी हैं। अंग्रेजी माध्यम बनने से मात्र नए बच्चे अंग्रेजी माध्यम के 119 विद्यार्थी आए हैं जबकि अन्य विद्यालय की दूरी ज्यादा होने के कारण 105 बच्चों ने अपनी सहमति दी। अभी भी 225 विद्यार्थी ऐसे हैं जिनका भविष्य अंग्रेजी माध्यम होने से अंधकार में है। जबकि पार्षद व एस.डी.एम.सी के सभी सदस्यों ने स्पष्ट तौर पर प्रस्ताव दिया था कि यदि अंग्रेजी माध्यम करें तो हिन्दी माध्यम को किसी भी स्थिति में चलाया जाए । इस विद्यालय के 5 किलोमीटर की परिधि में कोई विद्यालय नहीं है जिससे हिन्दी माध्यम के छात्र पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे।
शिक्षकों के इंतजार में विद्यार्थी इधर, पारसोला कस्बे के राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय को महात्मा गांधी उच्च माध्यमिक विद्यालय अंग्रेजी माध्यम में क्रमोन्नत किया गया। यहां पहली से आठवीं तक अंग्रेजी माध्यम तो नवीं से 11वीं तक हिंदी माध्यम में प्रवेश दिया गया। पहली से आठवीं तक 236 तो नवीं से 11वीं तक 90 विद्यार्थियों का नामांकन हो गया। इसके बाद इस स्कूल में न तो शिक्षकों की नियुक्ति की गई और न ही पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराई गई है। नव क्रमोन्नत विद्यालय में 23 पद स्वीकृत किया है लेकिन अभी सिर्फ एक वरिष्ठ अध्यापक को ही लगाया है। बाकी आठ शिक्षक हिंदी माध्यम के है । एक भी व्यख्याता और प्रधानाचार्य नहीं है।