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उदयपुर

‘कोरोना ने खेती के नए अवसरों को भी दी चुनौती’

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय

उदयपुरMay 30, 2020 / 02:13 am

Pankaj

'कोरोना ने खेती के नए अवसरों को भी दी चुनौती'

‘कोरोना ने खेती के नए अवसरों को भी दी चुनौती’

उदयपुर. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से कोविड-19 के पश्चात कृषि के भविष्य एवं परिदृश्य विषयक वेबिनार हुआ। इसमें देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय कृषि संस्थानों, कृषि विभाग के लगभग 1000 वैज्ञानिक, विद्यार्थी व अधिकारी शामिल हुए। अध्यक्षता कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने करते हुए कहा कि कोरोना का प्रभाव देश के कृषि उद्योग तथा सेवा क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर पड़ा है। देश में लगभग 52 फीसदी जनता कृषि पर निर्भर है तथा 70फीसदी जनता गांव में निवास करती है। कृषि क्षेत्र में उत्पादन व रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए अच्छी गुणवत्तायुक्त खाद्य पदार्थ का उत्पादन, फार्म मशीनीकरण, कृषि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग तथा स्मार्ट फ़ार्मिंग जैसे नए आयामों को किसानों तक पहुंचाने के नए अवसरों को कोविड-19 ने नई चुनौती दी है। कृषि वैज्ञानिकों को जैविक कृषि, समन्वित कृषि पद्धति, मार्केट लिंकेज, खाद्य प्रसंस्करण एवं कृषि उद्योगों में गांव आधारित मॉडल के विकास पर कार्य करना चाहिए। हमारे सामने 2030 में 345 मिलियन टन खाद्य उत्पादन का लक्ष्य प्राप्त करने की चुनौती है। भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम के डॉ. एन. रवि शंकर ने कहा कि किसानों की आय बढ़ाने 45 से ज्यादा समन्वित कृषि मॉडल का विकास किया है। उन्नत कृषि पद्धति मॉडल से आय बढऩे के साथ 150 से 397 दिन का रोजगार भी मिल सकता है। नाबार्ड के क्षेत्रीय प्रबंधक डॉ. शैलेंद्र सिंह चौहान, डॉ. सी. आर. मेहता, डॉ. अभय कुमार मेहता, डॉ .एस.के. शर्मा आदि ने भी विचार व्यक्त किए।

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