उदयपुर

video : स्वर्णाभूषणों से किया मां महालक्ष्मी का शृंगार, देर रात हुई महाआरती

Mahalaxmi Temple माता महालक्ष्मी का प्राकट्योत्सव धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया गया। सुबह महालक्ष्मी क वैदिक ऋचाओं के पाठ के साथ पंचामृत से अभिषेक कराया गया।

उदयपुरSep 18, 2022 / 12:57 pm

madhulika singh

Mahalaxmi Temple आश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर शनिवार को भट्टियानी चौहट्टा स्थित महालक्ष्मी मंदिर में श्रीमाली जाति सम्पति व्यवस्था ट्रस्ट की ओर से माता महालक्ष्मी का प्राकट्योत्सव धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाया गया। ट्रस्टी जतिन श्रीमाली ने बताया कि सुबह महालक्ष्मी क वैदिक ऋचाओं के पाठ के साथ पंचामृत से अभिषेक कराया गया। तत्पश्चात षोडशोपचार पूजन कर विशेष वेश एवं स्वर्णाभूषणों से शृंगार धराया गया। इस अवसर पर आचार्य मनीष श्रीमाली द्वारा श्रीसूक्त का पाठ एवं विशेष हवन का कार्यक्रम हुआ, इसमें मुख्य यजमान जयप्रकाश श्रीमाली एवं 5 जोड़े हवन में बैठे। शाम को मंदिर प्रांगण में सुंदरकांड का पाठ किया गया और श्रद्धालुओं ने भजन संध्या का आनंद लिया। मध्यरात्रि 12 बजे मातेश्वरी की महाआरती की गई एवं उसके बाद श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया गया। इस अवसर पर ट्रस्ट के सचिव गोपीकृष्ण, कोषाध्यक्ष मधुसूदन बोहरा, हेमंत त्रिवेदी, भगवती लाल श्रीमाली, डॉ. देवेंद्र श्रीमाली, भूपेंद्र श्रीमाली, धर्मेंद्र दवे एवं अन्य समाज जन उपस्थित थे। दिनभर दर्शनों एवं अनुष्ठान में भाग लेने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा ।
350 साल पुराना मंदिर, ये है मान्यता

महालक्ष्मी मंदिर का इतिहास 350 वर्ष पुराना है। महाराणा जगत सिंह के शासन काल में यह मंदिर बना है। महालक्ष्मी मंदिर निर्माण का मुख्य उद्देश्य राज्य में प्रजा के वैभव और विस्तार के उद्देश्य से किया गया था। यहां स्थापित माताजी की मूर्ति भी विशेष है, इसमें हाथी सूंड द्वारा जल कलश से लक्ष्मीजी के अभिषेक करते हुए दिख रहा है। मेवाड़ में श्राद्धपक्ष की अष्टमी पर प्राचीनकाल से ही गज सवार लक्ष्मी की पूजा होती है एवं महिलाएं अष्टमी का व्रत व अनुष्ठान करती हैं।

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