दरअसल, उदयपुर नगर निगम की ओर से वर्ष 2012 में राज्य सरकार को शहरी सीमा विस्तार के प्रस्ताव भिजवाए गए थे। इनमें 34 राजस्व गांवों को निगम सीमा में शामिल किया जाना था। ये प्रस्ताव पिछले 12 साल से फाइलों के बाहर नहीं निकल पाए हैं। सरकारी कार्यालयाें में चिट्ठी पत्रियां घूम रही है। सवाल पूछे जा रहे हैं, जवाब दिए जा रहे हैं, लेकिन सीमाओं में बदलाव पर फैसला नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि उदयपुर नगर निगम की सीमा का विस्तार अंतिम बार 1969 में हुआ था। तब गोवर्धन विलास व प्रताप नगर सहित कुछ हिस्से शहर में शामिल किए गए थे। यानी 55 वर्ष से शहर की सीमा का विस्तार नहीं हुआ है।
सरपंच लिखकर दे चुके, अब किसका इंतजार
शहर की सीमा में आ चुकी ग्राम पंचायतों के सरपंच भी अपनी ग्राम पंचायतों के शहर की सीमा में आ जाने के कारण इन्हें नगर निगम में शामिल करने के प्रस्ताव जिला कलक्टर को दे चुके हैं। इन ग्राम पंचायतों का हिस्सा अभी यूडीए के पैराफेरी क्षेत्र में शामिल है। ऐसे में पंचायतीराज अधिनियम के तहत पंचायतों को मिलने वाले अधिकार भी यहां प्रभावी नहीं है। दूसरी ओर पिछले नगर निगम चुनाव के समय उदयपुर नगर निगम के वार्डाें का परिसीमन किया गया था। पहले निगम में 50 वार्ड थे, जो बढ़कर 70 हो गए, लेकिन इस परिसीमन में शहर की सीमा का विस्तार नहीं हुआ। सिर्फ वार्डाें की संख्या में बढ़ोतरी हुई। अब जहां वार्डों की संख्या में बढ़ोतरी की दरकार है, वहीं इन ग्राम पंचायतों को भी निगम में शामिल करने की मांग है।इन राजस्व गांवों को निगम में शामिल करने के प्रस्ताव
1. बड़गांव 2. हवाला खुर्द 3. हवाला कला 4. सीसारमा 5. देवाली (गोवर्धन विलास) 6. बलीचा 7. सवीनाखेड़ा 8. जागी तालाब 9. नेला 10. तीतरड़ी 11. धोल की पाटी 12. गुश्वरमगरी 13. बिलियां 14. फांदा 15. मनवाखेड़ा 16. एकलिंगपुरा 17. कलड़वास 18 . कानपुर
19. बेड़वास 20. देबारी 21. झरनों की सराय 22. धोली मगरी 23. रकमपुरा 24. रेबारियों का गुड़़ा 25. रघुनाथपुरा 26. रूपनगर 27. आयड़ ग्रामीण 28. शोभागपुरा
29. देवाली (फतहपुरा) 30. भुवाणा 31. सुखेर 32. सापेटिया 33. बेदला खुर्द 34. बेदला
फैक्ट फाइल
55 साल से नहीं बदली शहर की सीमा 12 वर्ष पूर्व निगम ने भेजे थे प्रस्ताव 34 गांवों को शहर में लेने का इरादा 2012 में सरकार को भेजे थे प्रस्ताव 1969 में अंतिम बार हुआ शहर विस्तार